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Friday, October 3, 2025
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मंडला पुलिस: नए आपराधिक कानून के लिए मंडला पुलिस पूरी तरह तैयार एवं उत्साहित, नये कानून से आमजन को करा रहें जागरूक

नये आपराधिक कानून के प्रचार प्रसार करने मंडला पुलिस टीम थाना क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में कार्यक्रम का आयोजन व लोगों के बीच पहुँच कर नए कानूनों के बारे में दे रहीं जानकारी
विशेष जागरूकता अभियान के तहत योजना भवन मंडला में समाज के प्रबुद्धजनों को साथ में लेकर नये कानून के बारे में जनसामान्य को नए कानून की दी गई जानकारी जिले के सभी अनुभाग,थानों एवं चौकियों में चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान


भारतीय न्याय संहिता ने लिया भारतीय दंड संहिता का स्थान। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) ने लिया दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) का स्थान दी गई प्रक्रिया अनुसार होगी अब कार्यवाही

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 ने लिया एविडेंस एक्ट 1872 का स्थान
“तीन नयें कानून… नए आपराधिक न्याय का कानून, हर कदम पर है सहारा”

नागरिकों को शीघ्र और निष्पक्ष न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध, हर पीडित को त्वरित और पारदर्शी न्याय प्रणाली का मिलेगा लाभ

मध्यप्रदेश शासन व पुलिस मुख्यालय के निर्देशानुसार मंडला पुलिस द्वारा दिनाँक 01.07.2024 को प्रत्येक थाना अथवा अन्य उपयुक्त स्थान पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हैं जिसमें नवीन आपराधिक कानूनों के बारे में स्थानीय महिलाओं, युवाओं, छात्रों, वरिष्ठ नागरिक, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी, स्वः सहायता समूह के सदस्य, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शांति समिति के सदस्य व शिक्षण संस्थानों के अध्यापक व प्रबुद्धजनों को बुलाकर अवगत कराया जा रहा हैं। बालिकाओं एवं महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों के बारे में बताया गया एवं उसके बाद विचार विमर्श किया गया। आमजन में इसके प्रचार प्रसार करने की कड़ी में पुलिस टीम सभी थानों मे लगाए भारतीय न्याय संहिता एवं भारतीय दण्ड संहिता के तुलनात्मक विवरण के पोस्टर भी लगाये गयें।

दिनांक 01.07.2024 को समस्त थाना क्षेत्र अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोगो को नवीन आपराधिक कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के बारें में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई । तीनों नवीन कानून – भारतीय न्याय संहिता,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम को सरकार के द्वारा आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इसमें महिलाओं व बच्चों से संबंधित अपराधों में पीड़ित की समस्याओं को केंद्र में रखकर अपराधियों के लिए कड़ी सजा आदि का प्रावधान किया गया है। कहीं पर भी घटना होने पर किसी भी थाना पर FIR की सुविधा तथा घर बैठे ही E-FIR का भी प्रावधान हैं। नये कानून में डिजिटल व फोरेंसिक साक्ष्यों के महत्व को भी बढ़ाया गया है एवं प्रत्येक कार्य के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई है। जैसे:- कितने समय में विवेचना पूर्ण करके चार्जशीट पेश करना है और केस की अपडेट पीड़ित को कितनी समय सीमा में दी जाएगी। गवाह व पीड़ित आदि के बयान की वीडियो ग्राफी करना तथा बयान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लेने की भी प्रक्रिया है। पुलिस टीम ने आमजन को नए व पुराने कानूनों के तुलनात्मक चार्ट और प्रावधानों को पीपीटी व पोस्टर आदि के माध्यम से समझाया। इसके साथ ही आमजन को भी इसकी जानकारी रहे इसे ध्यान में रखते हुए जिला मंडला के सभी थानों मे भारतीय न्याय संहिता एंव भारतीय दण्ड संहिता के तुलनात्मक विवरण के पोस्टर लगाये गये ताकि थाने पर आने वाले किसी भी फरियादी एवं आमजन को नवीन अपराधिक कानून की विभिन्न धाराओं व प्रावधानों के साथ अपराधिक विधिक प्रक्रिया के बारे में जानकारी रहें।

महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान

नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा के प्रावधान किए गए हैं। प्रस्तावित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में पहला अध्याय अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित सजा के प्रावधानों से संबंधित है। इन प्रावधानों के अनुसार जहां बच्चों से अपराध करवाना व उन्हें आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा वहीं नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल की जाएगी। नाबालिग से गैंगरेप किए जाने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है। नए कानूनों के अनुसार पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में ही बयान दर्ज किया जा सकेगा। इसी प्रकार नए कानूनों में महिला अपराधों के संबंध में अत्यंत सख्ती बरती गई है। इसके तहत महिला से गैंगरेप में 20 साल की सजा और आजीवन कारावास, यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना भी अब अपराध होगा। साथ ही पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में ही बयान दर्ज करने का भी प्रावधान है। इस प्रकार नए कानून में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध घटित करने वालों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में कड़ी सजा के प्रावधान हैं।

नए कानूनों में खास

अदालतों में पेश और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों के मैजेस को शामिल किया गया है। केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगी। अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भी न्यायालयों में पेशी हो सकेगी। अब 60 दिन के भीतर आरोप तय होंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय देना होगा। वहीं सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत मामलों की तय समय में जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देने का प्रावधान है। इसी प्रकार छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। नए कानूनों में पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम रखी जाने व एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत का प्रावधान है। साथ ही किसी भी शिकायतकर्ता को 90 दिन में जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा और गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी भी सार्वजनिक करनी होगी।

नए कानूनों से होने वाले लाभ

ई-एफआईआर के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करने होंगे। नए बदलावों के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया है। फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है। यानी वे पेनड्राइव में अपने बयान की कॉपी ले सकेंगे। इस प्रकार नए कानूनों में आमजन को बहुत सारे लाभ प्रदान किए गए हैं।

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