सबसे बड़ा दुर्गा पांडाल – आयोजन की झलक:
इंदौर इस बार नवरात्रि 2025 में अद्वितीय दृश्य का गवाह बनने जा रहा है। पश्चिमी क्षेत्र में 25 एकड़ भूमि पर तैयार हो रहा सबसे बड़ा दुर्गा पांडाल भक्तों को न केवल मां दुर्गा के दिव्य दर्शन कराएगा, बल्कि संस्कृति और आस्था का भव्य संगम भी प्रस्तुत करेगा। इस आयोजन की खासियत यह है कि यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु एक साथ अध्यात्म, भक्ति और भारतीय परंपरा का अनुभव कर पाएंगे।सबसे बड़ा दुर्गा पांडाल अपने स्थापत्य के लिए भी खास है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करवाने की व्यवस्था की गई है। साथ ही मां पद्मावती मंदिर की प्रतिकृति भी बनाई गई है। पांडाल के प्रवेश द्वार को 470 फुट लंबा और 65 फुट चौड़ा बनाया गया है, जिसके सामने एक विशाल कलश रखा गया है। इसके अतिरिक्त 30 फुट ऊंची देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा, राजबाड़ा और खजराना गणेश मंदिर की प्रतिकृतियां भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र होंगी।

एक करोड़ मंत्र जाप और धार्मिक अनुष्ठान:
नवरात्रि के नौ दिनों तक इस विशाल आयोजन में एक करोड़ मंत्र जाप किए जाएंगे। इसके साथ ही 10 लाख हवन आहुतियां और 11 हजार अष्टलक्ष्मी कलश के दर्शन भी होंगे। 25 हजार वर्गफीट में बनी भव्य यज्ञ शाला में हर शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक देवी भागवत कथा का आयोजन होगा। सबसे बड़ा दुर्गा पांडाल केवल स्थापत्य की दृष्टि से ही खास नहीं, बल्कि अपनी धार्मिक गहराई और आध्यात्मिक महत्व के कारण भी अनोखा है।
स्थापत्य और प्रतिकृतियां:
इस पांडाल की सबसे बड़ी विशेषता इसका स्थापत्य है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करवाने की अनूठी व्यवस्था की गई है। मां पद्मावती मंदिर की प्रतिकृति भी तैयार की गई है जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। 470 फुट लंबा और 65 फुट चौड़ा प्रवेश द्वार अपने आप में अद्वितीय है। इसके सामने विशाल कलश की प्रतिकृति रखी गई है। वहीं दूसरी ओर 30 फुट ऊंची देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा, राजबाड़ा की प्रतिकृति और खजराना गणेश मंदिर की प्रतिकृति इस आयोजन को और भी भव्य बनाती हैं। यह सब मिलकर इंदौर के सबसे बड़ा दुर्गा पांडाल को एक दिव्य तीर्थ जैसा रूप प्रदान करते हैं।
भक्तों के लिए सुविधाएं:
आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रखा है। परिसर में संत निवास, मुख्य अतिथि विश्राम स्थल, बाल क्रीड़ा उद्यान, खोया-पाया केंद्र, पुलिस सहायता केंद्र, पुरुष और महिला प्रसादम केंद्र तथा शिशु पालन केंद्र बनाए गए हैं। इन व्यवस्थाओं के चलते यहां आने वाले भक्त बिना किसी परेशानी के भक्ति और दर्शन का आनंद ले सकेंगे।
कलाकारों का योगदान और आयोजन की खासियत:
चार राज्यों से आए 150 से अधिक कलाकार जुलाई से इस पांडाल को आकार देने में जुटे हुए हैं। उनका समर्पण और मेहनत इस आयोजन की भव्यता को और बढ़ा देता है। कृष्णगिरी पीठाधीश्वर आचार्य वसंत विजयानंद गिरि महाराज की अगुवाई में हो रहा यह आयोजन नवरात्रि में भक्तों को अविस्मरणीय अनुभव देगा। इस तरह इंदौर का यह क्षेत्र केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं बनेगा, बल्कि भारतीय संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन भी करेगा।
नवरात्रि का महत्व और तिथियां:
यह आयोजन 22 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। इन नौ दिनों में हर दिन विशेष पूजा, कथा और हवन का आयोजन होगा। नवरात्रि का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज में शक्ति, समर्पण और एकता का भी प्रतीक है। इंदौर का यह आयोजन इसी परंपरा को और मजबूती देगा।
निष्कर्ष:
इंदौर का पश्चिमी क्षेत्र इस बार आस्था और संस्कृति के संगम का केंद्र बनेगा। 25 एकड़ भूमि पर फैला सबसे बड़ा दुर्गा पांडाल न केवल भक्तों को माता के दर्शन कराएगा, बल्कि भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर की झलक भी दिखाएगा। इस आयोजन में भक्ति, आध्यात्म और सामाजिक समर्पण की अनूठी छवि देखने को मिलेगी।
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