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Saturday, November 15, 2025
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प्रशिक्षण में बताए गए कोदो-कुटकी की व्यावसायिक खेती के तरीके (मण्‍डला समाचार)

जारगी में आयोजित की गई कृषक संगोष्ठी

            मंडला विकासखंड के ग्राम जारगी में कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें किसानों को जैविक खेती के बढ़ते महत्व तथा कोदो-कुटकी, चिया, रागी आदि मिलेट्स की खेती को व्यावसायिक रूप प्रदान करने के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पर कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश-दुनिया में मोटे अनाज की मांग लगातार बढ़ रही है। कृषक संगोष्ठी में सीईओ जिला पंचायत श्रेयांश कूमट, उपसंचालक कृषि मधु अली, परियोजना अधिकारी आत्मा परियोजना आरडी जाटव सहित संबंधित उपस्थित रहे।

अब अधिक मुनाफा दे रही है मोटे अनाज की खेती

            कलेक्टर डॉ. सिडाना ने कहा कि कोदो-कुटकी सहित अन्य मोटे अनाज में पौष्टिक तत्व होते हैं, जो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाते हैं। वैज्ञानिक भी कोदो-कुटकी, चिया, रागी आदि मिलेट्स के उपयोग की सलाह देते हैं जिसके कारण इनकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। मोटे अनाज की खेती अब अधिक मुनाफा दे रही है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि कोदो-कुटकी की खेती में उन्नत किस्म के बीज लगाएं तथा खेती में वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करें। मोटे अनाज की खेती में पानी की आवश्यकता कम पड़ती है। कलेक्टर ने कोदो-कुटकी के संग्रहण, प्रसंस्करण तथा मार्केटिंग आदि के संबंध में भी चर्चा करते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

कतार पद्धति से करें बोनी

            प्रशिक्षण में विषय-विशेषज्ञों द्वारा बतलाया गया कि खेती में कतार पद्धति से बोनी करनी चाहिए। प्रत्येक बीज से उपज प्राप्त होती है। वहीं छिड़काव पद्धति से बीज अधिक लगता है जिससे कृषि की लागत बढ़ती है। प्रशिक्षण में कोदो-कुटकी की खेती में कृषि यंत्रों के उपयोग तथा उपलब्धता के संबंध में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पर किसानों ने अपने अनुभव साझा किए तथा अपनी शंकाओं के संबंध में समाधान प्राप्त किया।

मृदा सुधार के लिए जैविक खाद का  करें उपयोग

            प्रशिक्षण में किसानों को बताया गया कि कोदो-कुटकी, रागी, आदि मोटे अनाज की खेती में रसायनिक खाद की आवश्यकता नहीं  है। जैविक खाद का उपयोग कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इन फसलों के लिए गोबर खाद, केंचुआ खाद, जीवामृत का उपयोग किया जा सकता है जो मिट्टी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मददगार होते है।

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