मण्डला । श्री गणेश जी को घर पर विसर्जित करने की सबसे पहले 2008 में शुरू करने वाली पर्यावरण विद् सरिता अग्निहोत्री द्वारा एक नेक काम देश के नाम जिसमें की कई काम समाहित थे प्रमुख रूप से मेरे गणेश मेरे द्वारा निर्मित मेरे घर में ही विसर्जित हो तत्पश्चात एक वृक्ष का रोपण किया जाए आज यह राष्ट्र व्यापी अभियान हो चुका है हमारे देश की पवित्र नदियां जल स्रोत की स्वच्छता बनाए रखने के लिए सर्वप्रथम सरिता अग्निहोत्री एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा यह कार्य हाथ में लिया गया की मूर्तियां का निर्माण जहरीले रंग से नहीं होगा और ना ही पीओपी से मूर्तियां निर्मित होगी यह भी संपूर्ण राष्ट्र में अलग से कुंड बनाकर चाहे गणेश जी की मूर्ति हो या फिर दुर्गा जी की इन्हें सिराने की व्यवस्था की गईIइस मिट्टी का उपयोग विभिन्न पार्क अथवा पौधारोपित करने के लिए किया जाने लगा घर में विसर्जित होने वाली मूर्तियों को गमले में विसर्जित किया गयाI और उसे पर एक पौधा आरोपित किया गया इस उद्देश्य के साथ की साल भर यह धनात्मक ऊर्जा हमारे घर पर ही रहे विघ्नहर्ता श्री गणेश जी हमें वर्ष पर्यंत सद्बुद्धि देते रहें ।इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश भर में इस तरह के कार्यक्रम होने लगे बड़ी-बड़ी मूर्तियां को बड़ी-बड़ी परातों में रखकर जल की धारा प्रवाहित करने से धीरे-धीरे मिट्टी घुलने लगती हैं।बच्चों महिलाओं के द्वारा जो गणेश जी स्थापित हुए उन्हें घर पर ही विसर्जित किया गया और इस मिट्टी को गमले में डालकर पौधों रोपित किया जाता है ।इससे जल स्रोतों की सुचिता बनी रहती है कई वर्षों के द्वारा तो हाथों के द्वारा बने हुए मिट्टी के श्री गणेश जी को पंडाल लगाकर इन्हें पूजा हेतु दिया भी जाता है।
साथ में कपड़े का थैला और एक पौधा भी दिया जाता है।
बड़ी मूर्तियां के विसर्जन में जो मिट्टी रहती है उसे लोग भक्त अपने-अपने घर ले जाते हैं और एक गमले में स्थापित करके पौधा लगाते हैं।सरिता अग्निहोत्री से जब पूछा गया इस तरह की प्रक्रिया को करने में, करवाने में किन मुश्किलों का सामना किया उन्होंने बताया कि यह बात उन्होंने अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में रखी इसके पीछे भी उन्होंने एक कारण बताया कि 2007 में जब वे नर्मदा जी गई और उनके पैरों के तले एक श्री गणेश जी का सर आ गया था। उन्हें अत्यधिक दुख हुआ की 10 दिन तक बहुत ही श्रद्धा भक्ति से उनकी पूजा हुई और आज इन्हें जल में विसर्जित किया कितने लोगों के पैर के नीचे यह श्री गणेश आते होंगे या तो वे दोषी है या फिर जिन्होंने इन्हें विसर्जित किया है।इन्होंने अपनी बड़े-बड़े ज्योतिषी सम्मेलन में बात रखी सभी ने विरोध किया की मूर्ति विसर्जन तो होती है ।सरिता अग्निहोत्री द्वारा कहा गया घातक रंग पानी में घुलने से उसे भी प्रदूषित कर रहे हैं और न खुलने वाला प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनती हैं और इस तरह से श्रद्धा को बहुत दुख होता है जब वह मूर्ति धनात्मक ऊर्जा से पूर्ण और पैरों के नीचे आती हैं।प्रथम पूज्य श्री गणेश जी उनकी मूर्ति विसर्जित क्यों की जाती है बुद्धि के दाता है विघ्नहर्ता है इन्हें तो घर में ही रहना चाहिए ।अपने उदाहरण दिया जब हम लक्ष्मी जी बैठाते हैं घर में तो हम तो उनको विसर्जित नहीं करते बल्कि अपने घर की छत पर रख देते हैं ।तो फिर श्री गणेश जी को क्यों विसर्जित करते हैं।तर्क, वितर्क और लोगों के द्वारा कुतर्क को काटते हुए सरिता अग्निहोत्री द्वारा यह अभियान 2008 में चलाया गया अनेक संस्थाओं ने इनके साथ समाहित होकर इस पुण्य काम में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया कई संस्थाएं से आज इस कार्य को अत्यधिक सफलता प्राप्त हुई।और आज यह घर-घर में श्री गणेश जी स्थापित होने के बाद विसर्जित किए जाने लगे ।