मंडला। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी. सरोते ने एडवायजरी जारी की है, कि बरसात के दिनों में दस्त/उल्टी-दस्त, डायरिया जैसे महामारी फैलती है। इससे स्वयं एवं अपने परिवार और समाज के लोगों को इस महामारी से बचाव करें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने दस्त, डायरिया के दुष्परिणाम बताते हुए कहा कि पेट मरोड के साथ में एक लम्बा एवं पानी जैसा पतला दस्त उसमें कुछ कण रहते हैं, ऐसा मल त्याग को दस्त या डायरिया कहा जाता है। दस्त/उल्टी दस्त तीन-चार बार होने पर शरीर में अत्यधिक पानी, नमक और पोषक तत्व की कमी हो जाती है। उन्होंने बताया कि दस्त/डायरिया दूषित पानी के कारण प्रायः दस्त रोग फैलता है। शुद्ध पेयजल की कमी के कारण देश में जलजनित रोगों से मौतें होती हैं। बारिश में यह समस्या बढ़ जाती है। खानपान का ध्यान नही रखना मुख्य रूप से बच्चों में यह अधिक गंभीर रूप धारण कर सकता है। शरीर से अधिक पानी निकलने के कारण बच्चे की मृत्यु हो सकती हैं। इस बीमारी से कोई भी व्यक्ति इस बीमारी के चपेट में आ सकते हैं। जिनके अंदर बीमारी से लड़ने की क्षमता कम है। उन्होंने बताया कि बीमारी से बचने के लिए शुद्ध पानी पीयें। पोखर, झिरिया, नदी, नाली का पानी न पीयें। पेयजल के रूप में उबला पानी पीयें। शुद्ध ताजा भोजन का उपयोग करें। बासा भोजन न खायें। बासा मांस भी न खायें। कुछ भी खाने के पहले एवं शौच के बाद साबुन से अच्छी से तरह हाथ धोयें। सडे़-गले फल, सब्जियां, खाद्य पदार्थों का उपयोग न करें। खाद्य पदार्थों को ढक्कर रखें। मक्खी से बचाव करें। खुले में शौच न करें। शौचालय का उपयोग करें। व्यक्तिगत स्वच्छता एवं घर के आसपास साफ-सफाई रखें। कुएं में क्लोरीनेसन सप्ताह में एक बार जरूर करायें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने उपचार के बारे में बताया कि डॉक्टर के परामर्श अनुसार दस्त के लिए टेबलेट फ्यूराजोलाडिन, मेट्रोजिल, डायक्लोमिन, मेट्रोक्लोरापामाइड (उल्टी के लिए) जिंक की गोली, ओ.आर.एस. का घोल प्रत्येक दस्त के बाद पीते रहें। घर में खीरा, दही, शिकंजी, चावल का पानी (माड) तथा तरल पदार्थ अधिक मात्रा में सेवन करें। गांव में आशा दीदी से जीवन रक्षक दवाईयाँ अवश्य प्राप्त करें।