मंडला। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ० के.सी. सरोते ने जन समुदाय से अपील की है कि बरसात के मौसम में जलजनित बीमारियां ज्यादा फैलती है। जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्स विभाग की कॉम्बेट की टीम सभी विकासखण्डों में 24 घंटे सक्रिय है। ग्राम स्तर पर किसी भी प्रकार की बीमारी की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। ग्राम स्तर पर एएनएम, सीएचओ एवं आशा कार्यकर्ता सतत निगरानी रख होने वाली किसी भी बीमारी की सूचना कॉम्बेट टीम को दे रही है। जनसमुदाय से अपील है कि जलजनित बीमारियों से घबराएं नही तत्काल ग्राम की आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सरपंच, सचिव, कोटवार को इसकी सूचना दें। ताकि स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। विभाग द्वारा बीमारियों से बचने हेतु समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जाती है एडवाइजरी में दी गई सलाहों को माने एवं स्वस्थ रहें। विभाग का यही मूल मंत्र है। आवश्यकता होने पर सभी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं आपको तत्काल उपलब्ध कराई जायेंगी। बरसात में अक्सर दस्त, उल्टी, उल्टी-दस्त, आव, पेचिस, पेटदर्द, डायरिया पीलिया, टायफाइड, बुखार, मलेरिया बीमारियां होती है। बीमारी से बचने के लिए सावधान रहें। बीमार न हों, इसके उपाय करें एवं स्वस्थ रहे।
बीमारी से कैसे बचे
उल्टी, पेचिस, आव, संक्रामक बीमारी से बचने के लिए ताजा भोजन का सेवन करंे, शुद्ध पानी पियें (उबला पानी, आरो का पानी, फिल्टर, हैण्ड पम्प का पानी पियें एवं छानकर) कुएं, नदी, नाला, पोखर, झील का पानी न पियें, पानी क्लोरीनेशन कर के पानी पियें। सडी गली सब्जी, फल, बासा खाना न खायें, मांस का उपयोग बरसात के दिनों में सेवन न कर, व्यक्तिगत स्वच्छता अपनायें, खाद्य पदार्थ को छूने से पहले साबुन से अच्छी तरह हाथ धोयें, संक्रमित चीजों के छूने के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोयें, भोजन खाने के पहले या शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह धोयें और स्वच्छ शौचालय का उपयोग करें।
उपचार
डॉक्टर के परामर्श से उल्टी-दस्त के लिए टेबलेट फ्यूराजोलाडिन, मेट्रोजिन, डायक्लोमिन, मेट्रोक्लोरापामाइड, जिंक, ओ०आर०एस० का घोल, खीरा, दही, शिकंजी, चावल का पानी (माड) तथा तरह पदार्थ अधिक मात्रा में सेवन करें।
सुझाव
दस्त से संबंधित संक्रामक बीमारी होने पर नजदीकी अस्पताल जायें, ग्राम स्तर में आशा कार्यकर्ता डीपो होल्डर के माध्यम से जीवन रक्षक दवाईयां प्राप्त करें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जनसमुदाय को सलाह दी जाती है, कि बरसात के दिनों में वेक्टर जनित रोग जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकिनगुनिया, फायलेरिया (हाथी पांव) जैसे गंभीर बीमारी होती है। गंदा पानी, नाली गड्ढों में पानी एकत्रित होने से मच्छर के लार्वा से अंडे पनपते हैं।
मलेरिया
मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। जिसमें तेज बुखार, सिरदर्द, हाथ-पैरो में ऐठन व उल्टी होती है।
डेंगू
डेंगू का लार्वा साफ पानी में पैदा होता है जैसे कूलर, टूटे हुए टायर, टंकी में एडीज मच्छर के लार्वा पनपते है। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है।
चिकिनगुनिया
इसका वायरस सीधे हड्डी पर अटैक करता है, जिसके कारण असहनीय दर्द होता है। शरीर में चकत्ते के साथ तेज बुखार होता है।
मलेरिया, डेंगू, चिकिनगुनिया, फायलेरिया से कैसे बचें
घर के आसपास की सफाई रखें। पानी इक्कठा न होने देवे, गढ्ढों को भरे, टायर, कबाड समान ढंक कर रखे, इनमें पानी इक्कठा न होने दें। कूलर व टंकी के पानी को एक सप्ताह में खाली करें। नीम का धुआं करें, शाम के समय खिडकी, दरवाजा बंद रखें, रात्रि मे सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, पूरी अस्तीन के कपडें पहने, मच्छर से बचाव के साधन जैसे- क्रीम, क्वाइल, रिपेलेन्ट इत्यादि का उपयोग करें। बुखार आने पर तत्काल जांच करायें।
सुझाव
बुखार आने पर नजदीकी अस्पताल जा कर खून की जांच करायें एवं ग्रामीण क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता के पास जा कर खून की जांच करायें और दवायें प्राप्त करें। शुद्ध पेयजल की कमी एक आम समस्या है, वारिश में यह समस्या बढ जाती है। विभाग द्वारा जल स्त्रोतों का शुद्धिकरण किया जा रहा है। जिनके जल स्त्रोतों का शुद्धिकरण नही हुआ है, वे ग्राम की आशा से संपर्क कर जल का शुद्धिकरण कराना सुनिश्चित करें । स्वच्छता को अपनाएं, अपने घरो के आसपास कूडा-कचरा एवं पानी का जमाव जमा न होने दे। पानी और अस्वच्छ आदतों से फैलने वाली बीमारियों को मोटे तौर पर दस्त, कृमि संक्रमण, त्वचा एवं आंखों के रोग, मच्छरो एवं मक्खियों से फैलने वाले रोग सम्मिलित है।