मंडला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने एडवायजरी जारी की है, कि बरसात के दिनों में उल्टी-दस्त, डायरिया जैसे महामारी से अपना एवं अपने परिवार, समाज को इस महामारी से कैसे बचाव करें ?
दस्त, डायरिया क्या है
पेट मरोड के साथ में एक लम्बा एवं पानी जैसा पतला दस्त उसमें कुछ कण रहते हैं, ऐसा मल त्याग करता है, व्यक्ति उसे दस्त या डायरिया कहा जाता है। वहीं तीन-चार बार हो गया तो शरीर में अत्यधिक पानी, नमक और पोषक तत्व की कमी हो जाती है।
दस्त, डायरिया क्यों होता है
दूषित पानी के कारण प्रायः दस्त रोग फैलता है। शुद्ध पेयजल की कमी के कारण देश में जलजनित रोगों से मौतें होती हैं। बारिश में यह समस्या बढ़ जाती है।
खानपान का ध्यान नही रखना
मुख्य रूप से बच्चों में यह अधिक गंभीर रूप धारण कर सकता है। शरीर से अधिक पानी निकलने के कारण बच्चे की मृत्यु हो सकती है। इस बीमारी से बडे़ व्यक्ति भी इस बीमारी के चपेट में आ सकते हैं जिनके अंदर बीमारी से लड़ने की क्षमता कम है।
बीमारी से कैसे बचें
शुद्ध पानी पीयें, पोखर, झिरिया, नदी, नाली का पानी न पीयें। पेयजल के रूप में उबला पानी पिएं। शुद्ध ताजा भोजन का उपयोग करें। बासी भोजन न खाएं। बासी मांस भी न खाएं। कुछ भी खाने के पहले एवं शौच के बाद साबुन से अच्छी से तरह हाथ धोएं। सड़े-गले फल, सब्जियां, खाद्य पदार्थों का उपयोग न करें। खाद्य पदार्थों को ढक्कर रखें। मक्खी से बचाव करें। खुले में शौच न करें। शौचालय का उपयोग करें। व्यक्तिगत स्वच्छता एवं घर के आसपास साफ-सफाई रखें। कुएं में क्लोरीनेसन सप्ताह में एक बार जरूर करायें।
उपचार
डॉक्टर के परामर्श अनुसार दस्त के लिए टेबलेट फ्यूराजोलाडिन, मेट्रोजिल, डायक्लोमिन, मेट्रोक्लोरापामाइड जिंक की गोली, ओ०आर०एस० का घोल प्रत्येक दस्त के बाद पीते रहें। घर में खीरा, दही, शिकंजी, चावल का पानी तथा तरल पदार्थ अधिक मात्रा में सेवन करें। पोषण जारी रखें। ग्राम में आशा दीदी से जीवन रक्षक दवाईयां प्राप्त करें।