35.1 C
Mandlā
Monday, June 16, 2025
The viral
Homeउत्तरप्रदेशइमरजेंसी पर अखिलेश के यूटर्न से पार्टी नेताओं में नाराजगी

इमरजेंसी पर अखिलेश के यूटर्न से पार्टी नेताओं में नाराजगी

भारत सरकार या कहें मोदी सरकार ने हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है। 25 जून 1975 वह दिन था जब तत्कालीन भारत (कांगे्रस) सरकार की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर  रखकर देश में आपातकाल (इमरेंसी) लागू कर दिया था। लोगों के मौलिक अधिकार तक छीन लिये गये थे। देश के कई बड़े नेताओं को जेल मेें डाल दिया गया था। समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। सरकार को बिना दिखाई कोई खबर नहीं छापने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इमरजेंसी के दौरान समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव भी 19 महीने तक जेल में रहे थे।कुछ समय पूर्व  प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बात का वर्णन करते हुए बताया था कि किस तरह नेताजी मुलायम सिंह यादव ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगाए गए आपातकाल में लोकतंत्र के मुख्य सिपाही की भूमिका अदा की थी। इस बात का जिक्र करते हुए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें दिल से याद किया था। बता दें कि राम मनोहर लोहिया के आदर्शों से प्रभावित मुलायम सिंह ने इमरजेंसी के दौरान 1975 में करीब 19 माह तक जेल की सजा काटी थी। यह इतिहास के पन्नों में सिमट के रह गया है नई सपा अब इमरजेंसी लगाने वालों के साथ खड़ी है और इसका विरोध करने वालों को आईना दिखा रही है।वैसे इसके खिलाफ पार्टी में विरोध भी शुरू हो गया है। सपा विधायक रविदास महरोत्रा ने आरोप लगाया है कि सपा प्रमुख अखिलश यादव कांगे्रस की गोद में बैठ गये हैं,जबकि सबको पता है कि इमरजेंसी के समय नेताजी मुलायम सिंह यादव को लाठियां और जेल में प्रताड़ना सहनी पड़ी थी।

गौरतलब हो, 25 जून 1975 की आधी रात से 21 मार्च 1977 तक देश में इमरजेंसी रहा। इस दौरान जनता के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। इस दौरान मुलायम सिंह यादव ने कई आंदोलन में हिस्सा लिया। इमरजेंसी लागू होने के बाद बाकी विपक्षी नेताओं की तरह ही मुलायम सिंह भी जेल भेजे गए।वहीं 25 जून को जब मोदी सरकार ने संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया तो सपा प्रमुख और मुलायम के पुत्र अखिलश यादव इसके विरोध में खड़े हो गये हैं। इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का जबर्दस्त रिएक्शन आया है। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए।
    उधर, गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा था कि ’संविधान हत्या दिवस’ उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। शाह नक लिखा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था।
  अखिलेश यादव ने इसका प्रतिकार करते 30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का सुझाव देते हुए लिखा कि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी। इसके साथ ही सपा प्रमुख ने भाजपा से सवाल करते हुए कई दिवस गिना दिए। उन्होंने आगे लिखा कि मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस, हाथरस की बेटी हत्या दिवस, लखीमपुर में किसान हत्या दिवस, कानपुर देहात में मां-बेटी हत्या दिवस, तीन काले कानूनों से कृषि हत्या दिवस, पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस और अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस जैसे भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए कौन सी तिथि चुनी जाए?

अजय कुमार

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार

मो-9335566111

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
The Viral Patrika

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!