29.2 C
Mandlā
Monday, November 11, 2024
The viral
Homeसंपादकीय' एक पौधा - माँ के नाम '

‘ एक पौधा – माँ के नाम ‘

‘ एक पौधा माँ के नाम ‘… प्रधानमंत्री द्वारा की गई इस अपील ने मानो भारतवर्ष को एक नई दिशा दे दी है । ऐसा नहीं है , कि इससे पहले पौधा रोपण नहीं हुआ करता था । बल्कि , इसके उलट प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए वृक्षारोपण के नाम पर बहाये जाते रहे हैं । जिसमें राजनेताओं से लेकर अधिकारी – कर्मचारी वर्ग तक ,सभी ने तबीयत से डुबकी लगाई । विगत कुछ दशकों में पौधरोपण के नाम पर जितना पैसा पानी की तरह बहाया गया , उसके परिणाम कुछ वैसे ही थे , जैसे अस्सी – नब्बे के दशक में आरक्षण नीति के अंतर्गत इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में पिछड़े वर्गों के बच्चों को प्रवेश तो मिल गया था , किंतु बच्चे पढ़ाई के उस स्तर के समकक्ष स्वंय को नहीं पाते थे , और मानसिक तनाव के कारण बहुत से बच्चों ने या तो अपना मानसिक संतुलन खो दिया था या पढ़ाई छोड़ दी । यहां तक कि आत्महत्याओं तक की कुछ घटनाएं सामने आई थीं । उस समय की शिखर पर रही पत्रिका इंडिया टुडे में पीड़ित बच्चों के साक्षात्कार प्रकाशित हुए थे । ठीक वैसी ही परिस्थिति वनविभाग द्वारा किये जा वृक्षारोपण कार्यक्रमों की भी रही । वृक्षारोपण कार्यक्रमों के नाम पर शासकीय नर्सरी बनी । वृक्षारोपण कार्यक्रम हुए । आयोजनों में बड़े – बड़े नेताओं ने सहभागिता की । किंतु ऐसे कार्यक्रमों में लगाये गए अधिकांश पौधे अकाल मौत मर गए । समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों में नेताओं की तस्वीरें छप गई । एक पौधे को घेरे हुए दस – बारह खींसें निपोरते चेहरे दिखाई दे गए , लेकिन उनके द्वारा गोद लिए ( रोपित ) पौधे पर क्या गुजरी इसकी फिक्र किसी को नहीं । सरकारी महकमे राजनेताओं के साथ सरकारी पैसों की होली खेलते रहे । एक तरफ वृक्षारोपण के वृहद आयोजन और दूसरी तरफ उतनी ही बेदर्दी के साथ वनों की कटाई । यानी , सही मायनों में दोनों हाथों में लड्डू और सर कढ़ाई में था । उसके दुष्परिणाम दिखाई पड़ने लगे थे । लेकिन , स्वार्थ में आकंठ डूबे जिम्मेदार लोगों ने हमेशा की भांति अपनी जवाबदेही से बचते हुए जनहित की अनदेखी की । नदियों और झीलों का देश होने के बावजूद भारत के कुछ क्षेत्रों में जलसंकट बढ़ने लगा । धरती का जलस्तर बहुत तेजी के साथ कम होने लगा । दुःखद पहलू यह कि राजनीतिक मंचों और वातानुकूलित कमरों की बैठकों पर लोगों ने इस मुद्दे पर बहुत चिंता जताई ,लेकिन मैदानी स्तर पर योजनाओं को मूर्तरूप देने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं नहीं बताया गया । क्योंकि हमारे देश की खासियत यह है , कि किसी भी योजना या कार्य को जमीनी स्तर पर उतारने से पूर्व उसमें मिलने वाली राशि में स्वयं का लाभांश सर्वोपरि होता है । यही वजह है , कि अन्य सरकारी योजनाओं की भांति वृक्षारोपण कार्यक्रम भी भ्रष्टाचार की सूची में समहित हो गया । राजनेताओं और अधिकारियों के लिए प्रचार प्रसार के साथ – साथ पैसा कमाने का जरिया बनकर रह गया । नेता पहले भी हुए हैं । जनप्रिय और जननेता का तमगा लगाए बहुत से नेता हैं , लेकिन क्या वास्तव में इनकी सोच जनता के लिए हितकारी है । यदि , हाँ !! तो ऐसा जनहितकारी विचार इनके दिमाग में क्यों नहीं आता । यह पहला मौका है ,जब देश कोई नेता मंच से शौचालय निर्माण की बात कर रहा है । महिलाओं के अधिकारों की बात कर रहा है । सबको एक समान अधिकार की बात कर रहा है । सबके लिए एक कानून की बात कर रहा है । जल संवर्धन की बात कर रहा । वृक्षारोपण की बात कर रहा है । इनमें से कोई भी बात ऐसी नहीं है ,जिसमें उसका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नजर आता हो । सारी बातें जनहितकारी और देशहित में है । जैसे प्राचीनकाल में मानव को धार्मिक मान्यताओं से बांधकर नियमों का पालन करवाया जाता था , जो कि उसके लिए हितकारी हुआ करते थे । हमारी उन्हीं मान्यताओं को आज वैज्ञानिक विज्ञान के जरिये मान्यता दे रहे हैं । हमारे पूर्वजों की धार्मिक मान्यताओं को वैज्ञानिक रूप से सत्य साबित कर रहे हैं । ठीक वैसे ही हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता की भावनाओं को समझते हुए यह नारा दिया ‘ एक पौधा माँ के नाम ‘ और उनके इस नारे ने वृक्षारोपण के क्षेत्र में अभूतपूर्व जनजागृति का काम कर दिया । देश में हर कहीं ‘ एक पौधा माँ के नाम ‘ कार्यक्रम की धूम मची हुई है । आशा है , कि भविष्य में इस कार्यक्रम के अच्छे परिणाम जनता के सामने आएंगे । यह न केवल पर्यावरण संतुलन के लिए लाभकारी होगा , बल्कि जलस्तर बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होगा । इस अच्छे कार्य में आप भी सहभागी बनिये । ताकि हमारी आपकी आने वाली पीढ़ी को हम एक अच्छी ,सुंदर मनोहारी विरासत सौंप सकें । यह हम सबका न केवल दायित्व है , बल्कि हमारी अगली पीढ़ी का अधिकार भी है । तो आइए हम भी लगाएं ‘ एक पौधा माँ के नाम ‘

सम्पादक
राकेश झा

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
The Viral Patrika

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!