संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कर जिले में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए संकल्पित कलेक्टर श्री अवि प्रसाद के द्वारा प्रसव के रेफरल मामलों की अर्से से नियमित समीक्षा की जाती रही है। इससे प्रसव के सामान्य मामलों के रेफरल प्रकरणों में कमी आई है।कलेक्टर श्री प्रसाद को प्रसव के रेफरल प्रकरणों की समीक्षा के दौरान यह पता चला कि गर्भवती महिलाओं की ए.एन.सी. जाँच के दौरान कई मामलों में जहाँ केवल एक तो कुछ प्रकरणों में मात्र दो ही ए.एन.सी. जाँच की गई है। कलेक्टर श्री प्रसाद ने निर्धारित प्रोटोकाल के तहत ए.एन.सी. की जाँच नही करने पर गहन नाराजगी व्यक्त करते हुए सी.एम.एच.ओ डॉ. आर .के. आठ्या को निर्देशित किया कि प्रसव जैसे संवेदनशील मामले में लापरवाही बरतने वाले सभी स्वास्थ्य कर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाय।12 स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस जारीकलेक्टर श्री प्रसाद ने स्वास्थ्य महकमे को दो टूक हिदायत दी है कि प्रसव के रेफ़रल सहित हाईरिस्क मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। कलेक्टर ने समीक्षा बैठक के दौरान लापरवाही बरतने वाले चिन्हित 12 स्वास्थ्य कर्मियों को कारण बताओं नोटिस जारी करने निर्देशित किया है। इनमें 3 सी.एच.ओ., 8 ए एन. एम. सहित एक एम पी डब्ल्यू को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है। इनमें उप स्वास्थ्य केन्द्र करेला बड़वारा की सविता सिंह, उपस्वास्थ्य केंद्र पड़रभटा ढीमरखेड़ा की बबीता कुशवाहा, उप स्वास्थ्य केन्द्र स्लीमनाबाद की सावित्री सिंह ,उप स्वास्थ्य केन्द्र बड़वारा की हेवन्ती नायक,उप स्वास्थ्य केन्द्र कटरिया ढीमरखेड़ा की अरुणादीप,उप स्वास्थ केन्द्र घघरीकला कन्हवारा की सुनीता राव एवं निशि गर्ग और उप स्वास्थ केन्द्र अमीरगंज कटनी शहरी की अनामिका गौतम शामिल है।इसी प्रकार उप स्वास्थ्य केन्द्र पड़रभटा ढीमरखेड़ा की सी.एच.ओ पुष्पा पाण्डे, उप स्वास्थ्य केन्द्र कटरिया ढीमरखेड़ा की सी.एच.ओ सविता कोरी और उप स्वास्थ्य केन्द्र घघरीकला कन्हवारा की सी.एच.ओ. प्रीति पटेल को प्रसव की जाँच मामलों में कोताही बरतने पर कारण बताओं नोटिस जारी किया गया हैं ।इसके अलावा उप स्वास्थ्य केन्द्र करेला बड़वारा के एम.पी.डब्ल्यू. अबरार सब्बाग को भी कारण बताओं नोटिस जारी हुआ है। इनके द्वारा भी पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया जाना पाया गया है।सभी स्वास्थ्य कर्मियों को दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण का जवाब देना है। जवाब संतोषप्रद नहीं होने की स्थिति में संबंधितों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी।