भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी मौसमी दृष्टिकोण के अनुसार प्रदेश सहित समस्त मध्य भारत में ग्रीष्मकालीन में तापमान औसत तापमान से अधिक होने की संभावना है। इसके कारण प्रदेश के अधिकांश भागों में लू (तापघात) की स्थिति निर्मित हो सकती है। कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने जन समुदाय को लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव हेतु एडवायजरी जारी कर दी गई है।
लू (तापघात) के प्रभाव, लक्षण एवं प्राथमिक उपचार निम्नानुसार है
सूर्य दाह के प्रभाव से त्वचा पर लाल चकता, सूजन, फफोले, बुखार, सिर दर्द आदि होता है तो इसके लिए प्राथमिक उपचार के लिए प्रभावित को बार-बार नहलाएं, यदि फफोले निकल आए हों तो स्टरलाइज या ड्रेसिंग करें, चिकित्सा का परामर्श लें। ताप के कारण शारीरिक ऐंठन के प्रभाव से पैरों, पेट की मांसपेशियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफ देह ऐंठन अत्यधिक पसीना आने पर प्राथमिक उपचार के तौर पर प्रभावित को छायादार स्थल पर तत्काल ले जाएं, ऐंठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबाएं तथा धीरे-धीरे सहलाएं, प्रभावित को शीतल जल छाछ अथवा पना पिलाएं यदि उबकाई आ रही हो तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर ले जाएं। अत्यधिक थकावट एवं शारीरिक खिंचाव का प्रभाव होने पर अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, शरीर ठंडा होना तथा पीला पड़ जाना, सर दर्द नब्ज कमजोर पड़ जाना, मूर्छित हो जाना, उल्टी आना यह लक्षण दिखाई दें तो पर प्रभावित को छायादार स्थल पर लाकर शरीर का ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें, संभव हो तो उन्हें वातानुकूलित कमरे में ले जाएं, प्रभावित को शीतल जल, छाछ अथवा पना पिलाएं यदि उबकाई आ रही हो तो शीतल पेय पिलाना बंद कर दें तथा प्रभावित व्यक्ति को तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पर ले जाएं। ताप दाह के प्रभाव से अत्यधिक बुखार अत्यधिक गर्म एवं सुखी त्वचा तेज नब्ज बेहोशी हो सकती है प्रभावित व्यक्ति को पसीना नहीं आएगा के लक्षण दिखाई देने पर प्राथमिक उपचार के तौर पर अत्यंत चिंता जनक एवं चिकित्सा की दृष्टि से आपात स्थिति है तत्काल 108 को बुलाएं तथा प्रभावित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराएं एंबुलेंस आने तक उन्हें किसी शीतल वातानुकूलित स्थान पर ले जाएं कपड़ों को ढीला कर आरामदेह स्थिति में लिटाएं, उनके शरीर पर ठंडा एवं गीले कपड़े से स्पंजिंग करें किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ पीने को नहीं दें आवश्यकता अनुसार सीपीआर शुरू करें।
लू (तापघात) से बचाव हेतु निम्नलिखित सावधानियां अपनाई जानी चाहिए
पानी, छांछ, ओ. आर. एस. का घोल या घर में बने पेय जैसे लस्सी, नीबू पानी, आम का पना इत्यादि का सेवन कर तरो-ताजा रहें। यथा संभव दोपहर 12 से 03 बजे धूप में बाहर निकलने से बचें। धूप में निकलते समय अपना सिर ढक कर रखें। कपड़े, टोपी अथवा छतरी का उपयोग करें। धूप में निकलने के पूर्व तरल पदार्थ का सेवन करें। पानी हमेशा साथ रखें। शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।सूती, ढीले एवं आरामदायक कपड़े पहनें। सिंथेटिक एवं गहरे रंग के वस्त्र पहनने से बचें। जानवरों को छाया में रखें और पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी दें। अत्यधिक गर्मी होने की स्थिति में ठंडे पानी से शरीर को पोछे या कई बार स्नान करें। धूप तथा गर्म हवाओं के संपर्क के तुरंत बाद स्नान न करें। गरिष्ठ, वसायुक्त, ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन तथा अल्कोहल, चाय, काफी जैसे पेय पदार्थ का उपयोग कम से कम करें।