वर्तमान समय में हमारे पास प्राकृतिक संसाधनों की अत्यंत कमी हो गई है और अति आवश्यक है कि हम इन सब पर बहुत ध्यान दें क्योंकि हम देख ही रहे हैं जल जंगल जमीन सबकी उथल-पुथल हो चुकी है जिससे कि हम तो जैसे तैसे अपना जीवन निकल ही रहे हैं पर हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए हम क्या छोड़ कर जाएं इस पर चर्चा करना अति आवश्यक है हमें इन सब प्राकृतिक संसाधनों का बहुत ही कम उपयोग करना है क्योंकि हमने ही प्रकृति का विनाश विकास की दौड़ में कर चुके हैं जंगल नहीं बचा है पानी प्रदूषित हो चुका है हवा में हमने प्रदूषण फैला दिया है पृथ्वी में कई तरह के केमिकल और हम जो रोज प्रयोग करते हैं कई तरह की शैंपू कई तरह के डिटर्जेंट पाउडर कई तरह के वाशबेसिन और वॉशरूम को साफ करने के लिए विषैला क्लीनर इसे हमने अपनी धरती को जल को पृथ्वी को घातक रासायनिक पदार्थ से और प्रदूषित कर दिया है। मिलने का समय है पानी का अप्लाई बिल्कुल ना करें हम घर से शुरुआत करें कि हम कितने लीटर पानी बर्बाद करते हैं बूंद बूंद पानी को सहेजना यह हम कह तो देते हैं पर हम कितना कर पाते हैं हमारे काम वाले आते हैं वह सैकड़ो लीटर पानी फेंकते हैं उन्हें समझना होगा अब रही बात कई तरह के जो रासायनिक रंग है उनको हमें छोड़ना होगा और हमें घर के बने हुए रंग जिसे आप आसानी से बना सकती हैं जो हमारे चक्र को सक्रिय करता है जैसे बैगनी कलर हमें चुकंदर से मिलेगा मजेंटा कलर हमें फूलों की पंखुड़ियां से मिलेगा हरा कलर हमें हरी साहब सब्जियों से मिलेगा सुनहरा कलर हमें केसर गाजर गेंदे के फूल हल्दी टेसू के फूल इसे मिलेगा तो हम एक नई शुरुआत के साथ इन प्राकृतिक रंगों का इस प्रयोग करें और अगर कुछ नहीं मिलता तो वह जो होली की भस्म है उसी से होली खेले तिलक होली खेले तब तो हम आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ छोड़ जाएंगे नहीं तो यह सब कुछ नष्ट करने वाले हैं और इसके लिए सिर्फ हम ही दोषी है