
यदि यह कहा जाए कि , पूरा भारतवर्ष राममय हो गया तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगा । किसी भी राष्ट्र की परंपरा , संस्कृति , आस्था या गौरव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है । अपनी संस्कृति , धर्म और आस्था को बचाने के लिए हमारे पूर्वजों ने विदेशी आक्रांताओं से संघर्ष किया । अनेकों पीढ़ियों तक बलिदान और त्याग के परिणामस्वरूप जब देश स्वतंत्र हुआ , तब यह उम्मीद जागी कि हमारे पूर्वजों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा । लेकिन , विश्व में अनूठी मिसाल बनाते हुए , बहुसंख्यक सनातन धर्मियों की अनदेखी करने और मुस्लिम तुष्टीकरण की सोच ने भारत की गौरवशाली अतीत से परे एक नए देश ‘ इंडिया ‘ का निर्माण किया । हमेशा सनातनियों को नीचा दिखाने के अवसर तलाशे जाने लगे । युवा पीढ़ी को सनातन के प्रति भ्रमित किये जाने के प्रयास होने लगे । किंतु , सत्य परेशान हो सकता है , लेकिन पराजित नहीं , इस कथन को सत्य साबित करते हुए , एक न एक दिन देश के नागरिकों को अपने पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास और परम्परा के सम्मान की अनुभूति प्राप्त होना ही था । कहते हैं कि नीयत साफ हो तो सब कुछ सम्भव है । एक कहावत है ‘ जहाँ चाह वहाँ राह ‘…..इसे चरितार्थ कर दिया था , उच्चतम न्यायालय के 9 नवंबर 2019 को दिए गए , अभूतपूर्व ऐतिहासिक फ़ैसले ने । लगभग पांच सौ वर्षों से अधिक पुराने विवाद पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय ने देश में चर्चाओं की दिशा बदल दी थी । जो लोग ‘श्री राम जन्मभूमि’ के बिलावजह विवाद से परेशान थे , जो इस समस्या का शांतिपूर्ण हल चाहते थे , उन्हें निःसन्देह बहुत सुकून पहुँचा था । अयोध्या के नागरिकों ने भी चैन की सांस ली थी । यह मामला वर्षों पूर्व हल चुका होता,अगर कुछ कट्टरपंथियों और राजनीतिक दलों ने उलझाए न रखा होता । उच्चतम न्यायालय का अंतिम फ़ैसला आने के पश्चात जब पाँच अगस्त 2020 को भूमिपूजन और शिलान्यास हो गया , तब आशानुरूप राजनीतिक हलचल बढ़ गई थी । यदि , ‘ कोरोना ‘ संक्रमण महामारी न फैली होती तो , अयोध्या में निर्माणाधीन ‘ श्रीराम जन्मभूमि ‘ पर निर्माणाधीन भव्य मंदिर का कार्य और अधिक पूर्णता की ओर अग्रसर दिखाई दे रहा होता । चूंकि कहा गया है ‘ होई वही जो राम रचि रखा ‘ तो शंका किस बात की । इतिहास गवाह है , अच्छे कार्यों में बाधाएं आती रहती हैं । सतयुग में भी ऋषि – मुनियों ने जब – जब जन – कल्याण और विश्व सुख – शांति ,समृद्धि के लिए यज्ञ – पूजा पाठ किये , तब – तब आसुरि शक्तियों ने विघ्न डालने का प्रयास किया । कलयुग में भी कोई सनातनी धार्मिक शुभ कार्य , बिना विघ्न के सफल हो जाये यह कैसे सम्भव है । समय के अनुसार विघ्नकर्ताओं के रंग – रूप आकार – प्रकार परिवर्तित हो गए हैं । नाना प्रकार के प्रयास जारी हैं और जारी रहेंगे । क्योंकि , हमारे देश के संविधान ने अभिव्यक्ति की असीमित आजादी दी हुई है । बहुत से विघ्नकर्ताओं के लिए , आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सांप छछूंदर की स्थिति निर्मित हो चुकी है । वे समझ नहीं पा रहे हैं , कि विरोध करें या सहमति जताएं । तुष्टीकरण की नीति के चलते जिन भगवान ‘ श्रीराम ‘ के अस्तित्व को नकारते आये थे , आज उनकी शरण में जाने के लिए बेताब हैं । समय की मार सबसे बुरी होती है । वक्त ठहरता नहीं और आईना सबको सच्चाई से रूबरू करवाता है । प्रसिद्ध भजन गायक हरि ॐ शरण का बहुत ही कर्णप्रिय और लोकप्रिय भजन की पंक्तियां बरबस ही याद आ रही हैं ‘ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार ,…. उदासी मन काहे को करे…काहे को डरे…!! ‘ बस मन में यही विश्वास है , कि भगवान श्रीराम सबका भला करेंगे । रामभक्तों का पाँच सौ वर्षों से चला आ रहा संघर्ष का सुखदायक परिणाम सामने दिखाई दे रहा है । सम्पूर्ण विश्व में रह रहे , सनातनियों के लिए यह गौरवशाली पल 22 जनवरी 2024 यादगार और ऐतिहासिक बनने जा रहा है । हमारे पूर्वजों का बलिदान और त्याग हम सब के लिए गौरव का कारण बना । हमारी संस्कृति , हमारी धार्मिक आस्था , हमारी परम्परा , हमारा सनातन धर्म हमें गौरान्वित कर रहा है । आप सबको भगवान श्रीराम बालस्वरूप मूर्ति प्राणप्रतिष्ठा की हार्दिक शुभकामनायें ।
राकेश झा