: पं. राधाकृष्ण शुक्ला , लखनऊ
यमदूत ने एक नामी गिरामी और मालदार नेता को यमलोक ले जाने हेतु उसके घर दस्तक दी। आभास होते ही नेताजी सतर्क हो गए। व्याधि टालने हेतु पूजापाठ भी शुरू करवा दिया। जो मर्ज नेताजी के शरीर को दिनबदिन निचोड़ रहा था उसका इलाज बड़ी ही मुस्तैदी से जारी था।
साथ में यह विडम्बना तो देखिये कि नेताजी के ठीक नीचे वाला नेता भी पूजापाठ करवा रहा था कि किसी तरह बड़े वाले नेताजी खिसकें ताकि उनकी जगह खाली हो और उसका भाग्य खुले।
आखिर वह दिन आ गया जब यमदूत नेताजी को घसीटने लगे। नेता तो नेता ही था। इतनी जल्दी कैसे दूतों के चक्कर में फंसता। उन्होंने यमदूत से प्रश्न किया कि मेरा क्या दोष है जो इतनी जल्दी मेरे प्राण ले रहे हो। यमदूत ने कहा कि जिंदगी भर आपने लोगों को ठगा और इतनी हराम की दौलत कमाई। आपको तो सीधे नर्क ही जाना होगा।
नेता ने कहा कि हे यमदूतों! धन तो तभी आता है जब लक्ष्मी माता की कृपा होती है। मैं उनकी कृपा को कैसे नकार सकता हूँ। अगर आपको कोई एतराज हो तो भगवान विष्णु प्रिया लक्ष्मीजी से पूछ कर आओ कि उनकी कृपा थी तभी तो धनवर्षा हुई। अगर उन्होंने कहा कि उनके आशीर्वाद के बगैर यह सब हुआ तभी मैं आपके साथ जाऊँगा वरना मैं यहीं पर धरना देकर अपने प्राण त्याग दूंगा।
लक्ष्मीमाता के भयवश यमदूत विष्णुलोक गये। लक्ष्मीजी को विष्णु भगवान की उपस्थिति में ही सारा वृतांत कह सुनाया। यमदूत ने यह सूचना भी दी कि नेताजी पर भीषण भ्रष्टाचारों और अकूत सम्पदा इकट्ठा करने का मुकदमा पृथ्वी के सर्वोच्च न्यायालय में कई वर्षों से लंबित भी है। अभी तक उनको कोई दंड नहीं मिला है।
लक्ष्मीजी विष्णु भगवान की और देखकर थोड़ा तिरछे मुस्कुराई। इशारा समझ भगवान विष्णु ने मन ही मन विचार किया और पाया कि यह तो वही प्राणी है जिसने तमाम कुचक्रों का सहारा लेकर अकूत सरकारी मुद्रा का दोहन किया है। असंख्य लोगों का अहित किया है।
हर मामले को इतना उलझा देता था कि किसी की हिम्मत ही नहीं होती थी कि वह उसका किंचित भी विरोध कर सके। यदि इधर इतनी आसानी से ले आया गया तो नर्क को तो छोड़ ही दीजिये स्वर्ग में भी हाहाकार मचा देगा।
ऐसासोच कर विष्णु भगवान ने कहा कि समस्या की जटिलता के मद्देनजर नेताजी को पन्द्रह साल का जीवन दान दिया जाता है। इन पन्द्रह सालों के दौरान जब पृथ्वी निवासी उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीश इस मामले पर अपना निर्णय दे देंगे तभी नेताजी को यहाँ लाना।
तब से नेताजी इस समय तक सरकारी कारागृह में नरक की यातनाएं झेलते हुए स्वेच्छा से भगवान से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे हैं किन्तु पन्द्रह साल पूरे होने का नाम ही नहीं ले रहे। शायद पूर्ण शुद्धिकरण के बाद ही ईश्वर उन्हें स्वीकार कर पाएंगे।