केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज यहां राष्ट्रीय मीडिया पुस्तकालय में डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन के लिए पुस्तकालयों को सशक्त बनाने पर चिकित्सा में इलेक्ट्रॉनिक संसाधन (ईआरएमईडी) कंसोर्टियम पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। ईआरएमईडी भारत के चिकित्सा परिदृश्य के भीतर सहयोगी उत्कृष्टता और परिवर्तनकारी प्रभाव के लिए और चिकित्सा समुदाय की विविध सूचना आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। ईआरएमईडी कंसोर्टियम एक्सेस सुविधा को 14 एम्स और यहां तक कि आयुष रिसर्च कॉलेजों सहित 74 चयनित सरकारी संस्थानों तक बढ़ा दिया गया है। एनएमएल के महत्व और प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि “अब सुदूर इलाकों में रहने वाले संकाय, शोध छात्र भी एनएमएल के ई-रिसोर्सेस, एनएमएल की पुस्तकों और पत्रिकाओं के मेटाडेटा का लाभ उठा रहे हैं। इसे एनआईसी के क्लाउड सॉफ्टवेयर ई-ग्रंथालय पर अपलोड किया गया है और सूचना आकांक्षी आसानी से देख सकते हैं। यह एनएमएल के ई-संसाधन जैसे ई-बुक्स, ई-जर्नल्स, क्लिनिकल केस, हाई रिजोल्यूशन इमेज आदि के जरिए उपलब्ध है। सदस्य संस्थानों के साथ चिकित्सा में इलेक्ट्रॉनिक संसाधन (ईआरएमईडी) कंसोर्टियम के माध्यम से उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान की खोज न केवल रोगी की देखभाल के लिए बल्कि व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए भी लाभदायक है। डॉ. भारती प्रवीण पवार ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, पिछले नौ वर्षों में, सरकार ने देश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों/कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्नातक सीटों की संख्या जो 2014 से पहले 51,348 थी, आज की तारीख में बढ़कर 1,07,948 से अधिक हो गई है। यानी इसमें 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह 2014 के बाद से देश में पीजी सीटों की संख्या 117 प्रतिशत बढ़कर 67,802 हो गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में, एनएमएल डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सभी के लिए चिकित्सा शिक्षा सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। डॉ. पवार ने उपचार, नैदानिक विधियों और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में निरंतर नवोन्मेषों और नए विकास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा, “निरंतर सीखने से स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को नवीनतम विकास के साथ अपडेट रहने और उन्हें अपनी प्रथाओं में एकीकृत करने की अनुमति मिलती है, जिससे रोगियों के लिए सर्वोत्तम संभव देखभाल सुनिश्चित होती है।” डॉ. पवार ने कहा कि यह हमारे बौद्धिकता को भी व्यापक बनाता है, महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देता है, और मानव शरीर और इसकी जटिलताओं की हमारी समझ को समृद्ध करता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जितना अधिक स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल अपने कौशल को सीखते हैं और परिष्कृत करते हैं, उतना ही वे सटीक निदान, प्रभावी उपचार और अधिकतम रोगी देखभाल प्रदान करने में बेहतर होते हैं। डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आगे कहा, “स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के रूप में, हमारे रोगियों को श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। निरंतर सीखना यह सुनिश्चित करता है कि हम उपलब्ध नवीनतम और सबसे प्रभावी उपचार की पेशकश करके इस जिम्मेदारी को पूरा करते हैं।” केंद्रीय राज्य मंत्री ने सुझाव दिया कि ईआरएमईडी कंसोर्टियम में अधिक चिकित्सा ई-संसाधनों को शामिल किया जाना चाहिए, जो सभी के लिए सुलभ हो। उन्होंने कहा, “चिकित्सा की दुनिया लगातार विकसित हो रही है, जो नित-नई खोजों, नई तकनीकों और रोगी की देखभाल में प्रगति से प्रेरित है। इस तेजी से बदलते परिदृश्य में, आजीवन सीखने के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है। चिकित्सा सटीकता और करुणा का क्षेत्र है, जहां व्यक्तियों का जीवन स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के ज्ञान, कौशल और विशेषज्ञता पर निर्भर करता है।” डॉ. पवार ने कहा, “निरंतर सीखना सिर्फ एक विकल्प नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदारी है जिसे हर स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल को उठाना चाहिए। यह हमें उच्चतम स्तर की देखभाल प्रदान करने, चिकित्सा प्रगति में योगदान करने और हमारे रोगियों के विश्वास और विश्वास को बनाए रखने के लिए सशक्त बनाता है।” उन्होंने सभी से आजीवन सीखने की भावना को अपनाने और चिकित्सा के गतिशील और महान क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने का आग्रह किया । इस अवसर पर एनएमएल-ईआरएमईडी स्मारिका का शुभारंभ भी किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एएस-एंड-एफए जयदीप कुमार मिश्रा, डीजीएचएस डॉ. अतुल गोयल और एडीजी (एमई) डॉ. बी श्रीनिवास भी उपस्थित थे।