आज़ादी के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। दिल्ली आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों – कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय है, जिस कारण आकर्षण व समाचार का केंद्र भी है। १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं : हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है। लाल किला, कुतुबमीनार, इंडिया गेट, लोटस टेम्पल, चिड़िया घर, संग्राहलय इत्यादि यहाँ के मुख्य आकर्षण है।
भारत की राजधानी दिल्ली जैसे विकसित क्षेत्र में आवारा पशुओं की बढ़ोतरी निःसंदेह चिंताजनक है। आये दिनों दिल्ली के विभन्न क्षेत्रों में लावारिस कुत्तों के आक्रामक होने की ख़बरें आते रहती है। वसंतकुञ्ज, रोहिणी, पीतमपुरा, शालीमारबाग जैसे रिहाइशी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का खौफ बढ़ा है। संध्या में बिना छड़ी के लोग घर से बाहर नहीं निकलते। सड़कों पे दुर्घटनाओं के आसार बने रहते हैं। पिछले 7-8 वर्षों पूर्व की जनगणना के अनुसार दिल्ली में लगभग 6 लाख आवारा कुत्ते हैं, फिर भी स्टरलाइजेशन के लिए ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं। वर्तमान में दिल्ली सीमा क्षेत्र में 20 स्टरलाइजेशन केंद्र हैं, जिनमें से 16 ही एक्टिव हैं। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित कुमार का कहना है कि मौसम में बदलाव की वजह से कुत्तों में तनाव की समस्या उठ खड़ी होती हैं। इससे कुत्तों का व्यवहार हिंसक हो रहा है। बदलते मौसम में अक्सर कुत्ते हिंसक हो जाते हैं। इसके अलावा आवारा कुत्तों को लेकर लोगों के गलत रवैये से भी कुत्तों के व्यवहार पर फर्क पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुत्ता काटने पर घाव को साबुन और पानी से साफ करें। घाव पर एंटीबायोटिक क्रीम लगा लें। पीड़ित को चिकित्सक के पास लेकर जाएं। एंटी रेबीज वैक्सीन जरूर लगवाएं।
आवारा कुत्तों की समस्याओं के समाधान को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लोगों को साथ लेकर अभियान चलाएंगे। दरअसल, देशभर में कुत्तों के काटने की खबरें लगातार आ रही है। कुत्ता के अतिरिक्त गाय भी शहरी जीवन की चुनौती बनती जा रही है। गाय अथवा अन्य पशुएं जब तक उपयोगी है लोग रखते हैं फिर आवारा भटकने के लिए छोड़ देते हैं। सड़कों पर इनके जमावड़े से दुर्घटनाएँ तो बढ़ ही गयी है साथ ही मानव के क्रूर चेहरे भी सामने आये हैं। लोग आवारा पशुओं से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं जिस कारण पशुओं का व्यवहार आक्रामक हो जाता है। बीच सड़क पर कार के शीशे को नीचे कर रोटी खिलाने का रिवाज इन्हें और अनुशाशन हीन होने के लिए प्रेरित करता है। हर आने जाने वाले गाडी वालों से रोटी खाने की आशा में गाड़ी रुकते ही उस तरफ भागे जाती हैं। मनुष्यों की बढ़ती आबादी और पशुओं के कमतर होते ठिकाने शहरी जीवन के दिनचर्या को दुरूह बना दिया है। सड़कोंपरघूमता बेसहारा गोवंश आवारा पशु राहगीरों के लिए मुसीबत बने हैं। रोजाना कुछ लोग इनकी चपेट में आकर चोटिल हो रहे हैं, साथ ही गोवंश पशु भी जख्मी हो रहे हैं। शहर के लिए अहम बनी इस समस्या को दूर करने के प्रति प्रशासन ने अभी तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई। यहां तक कि मामला हाइकोर्ट के संज्ञान में भी जा चुका है। दिल्ली की इस गंभीर समस्या पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने अधिकारियों से शहर की सड़कों पर घूम रही गायों को हटाने के संबंध में कानून के अनुसार कार्रवाई जारी रखने को कहा है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि यदि इस मुद्दे पर पहले के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है, तो अवमानना कार्रवाई के लिए एक याचिका दायर की जानी चाहिए। जब तक दिल्ली नगर निगम भाजपा के पास था गौशालाओं की हालात बदहाल होने का मामला दिल्ली सरकार के द्वारा समय-समय पर विधानसभा में जोर शोर से उठाया जाता रहा किन्तु दिल्ली नगर निगम अब आम आदमी पार्टी के अधीनस्थ है फिर भी स्थिति में गिरावट ही आयी है बजाय सुधार के किन्तु इस पर अब सन्नाटा है। विडंबना है सत्ता के नाम बदल जाते हैं चेहरे नहीं।
अपार्टमेंट्स के प्रतिनिधि एवं आरडब्ल्यूए परस्पर संवाद के बाद अपने लोगों को ये आश्वासन दिया है कि लावारिश पशुओं की समस्याओं का निदान क़ानून एवं मानवाधिकार के तहत निकालने का प्रयास कर रहा है।