कमल पटेल
भोपाल । लोकतंत्र का मनोरथ आम लोगों की भलाई होता है। हमारे देश में लोकतंत्र तो स्थापित हुआ किंतु शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, सामाजिक न्याय, सड़क जैसे सामाजिक सरोकार से जुड़े जन-कल्याणकारी मुद्दे सरकार की प्राथमिकताओं में वर्ष 2014 में शामिल किए गए। 26 मई 2014 का दिन देश के भविष्य का ऐतिहासिक और प्रभावकारी दिन बन गया, जब देश का नेतृत्व जमीन से जुड़े उस महान नेता को मिला, जिनकी हर साँस में भारत माता की बेहतरी की अनगिनत कोशिशें और कार्यों में देश के प्रति असीम प्रतिबद्धता रही है।
दरअसल जन-कल्याण की सबसे आवश्यक मांग होती है, ऐसा सकारात्मक और दूरदर्शी नेतृत्व जिनमें आम जनता के सर्वांगीण विकास करने की जिजीविषा और कार्य-योजना हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूचे देश को एक सूत्र में बांध कर “एक भारत-सम्पूर्ण भारत” के सपने को साकार कर दिया है। आज़ाद भारत में विकास के सपने तो कई सरकारों ने दिखाए, लेकिन उनके प्रशस्त होने का सिलसिला शुरू हुआ वर्ष 2014 से। विकास का अर्थ हमेशा सकारात्मक बदलाव से होता है और यह बदलाव अब नजर आ रहा है लोगों के मनोभावों में, युवाओं के सपनों में, बुजुर्गों के विश्वास में, मातृ-शक्ति के सशक्तिकरण में, उद्यमिता में और सरहदों की रक्षा करने वाले हमारे जांबाज़ जवानों में।
वर्ष 1962 में चीन से युद्ध में हमारे जवानों के पास न तो उपयुक्त हथियार थे और न ही पूर्वोत्तर की जटिल परिस्थितियों तक पहुँचने के मार्ग। नतीजा हमारे जवानों को रसद तक न मिल पाई। आज का भारत बदल गया है। कश्मीर से धारा 370 खत्म कर उस घाव को भर दिया गया है, जिससे भारत का हर नागरिक बैचेन रहता था। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के उस दंश से मुक्ति मिल गई है, जिससे कई माता-बहनों की ज़िन्दगी तबाह हो जाती थी। देश की सुरक्षा प्रधानमंत्री मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है और सेना का “वन रैंक-वन पेंशन” का सपना साकार कर दिया गया है। चीन से सीमा विवाद के चलते और पूर्वोत्तर की सुरक्षा चुनौतियों से जूझते भारत ने अब अपनी सामरिक स्थिति को मजबूत कर लिया है। पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच अब बोगीबिल पुल के बनने से सेना देश के किसी भी हिस्से से बहुत कम समय में चीन से लगती सीमा पर पहुँच जाएगी। सेना की लामबंदी और फ़ॉरवर्ड क्षेत्र में रक्षा आपूर्ति का काम आसान हो जाएगा। इस प्रकार चीन पर अब भारत को सामरिक बढ़त हासिल हो गई है।
विकास का अर्थ है कि सामाजिक व्यवस्था, सामाजिक संरचना, संस्थाओं और सेवाओं की बढ़ती क्षमता जो संसाधनों का उपयोग इस प्रकार से कर सकें, जिससे जीवन स्तर में अनुकूल परिवर्तन आए। देश में कच्ची सड़कों को पक्की सड़कों में बदल दिया गया है। देश की बड़ी आबादी के पास रहने के लिए घर नहीं थे,आज़ादी के बाद अब जाकर उन्हें पक्का घर नसीब हुआ है। एक दौर था जब भारत में होने वाली कन्या भ्रूण हत्या को लेकर वैश्विक बदनामी होती थी। अब मोदी के “बेटी बचाओ-बेटी-पढ़ाओ” अभियान को वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। उज्जवला योजना परिवर्तनकारी साबित हुई है और बहु-बेटियों के लिए वरदान बन गई है।
इसी प्रकार बैंक में खाता खुलवाना और एटीएम रखना अमीरों तक सीमित था। आजादी के 6 दशक बाद भी भारत में बड़ी संख्या में ऐसी आबादी थी, जिन्हें बैंकिंग सेवाएँ हासिल नहीं थी। इसका मतलब है कि उनके पास न तो बचत का कोई जरिया था, न ही संस्थागत कर्ज पाने का कोई अवसर। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस बुनियादी समस्या का समाधान करने के लिए जन-धन योजना की शुरुआत की। इस योजना ने लाखों भारतीयों के जीवन और भविष्य को पूरी तरह से बदल दिया है। अब देश की अधिकांश आबादी के पास उनका बैंक अकाउंट है और इससे सरकार की सीधी मदद उनके बैंक अकाउंट तक पहुँचती है।
देश की आबादी की तकरीबन 68 फीसदी जनसंख्या गाँवों में रहती है। गाँवों को विकास से जोड़ कर ही देश का चहुँमुखी विकास हो सकता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने किसानों और ग्रामीणजन के जीवन में बदलाव की एक स्वर्णिम योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से भारत के ग्रामीण समाज का विकास और प्रगति से सीधे जुडने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इससे किसानों और ग्रामीणों की भूमि को लेकर जो नया विजन सामने लाया गया है, वह विकास के नित नए आयाम स्थापित कर रहा है।
देश के अन्नदाता किसानों का आत्मबल मजबूत करने और खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए भी विशेष प्रयास हुए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की विशेष पहल से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि बनाई गई, जिसमें लघु एवं सीमान्त किसानों को एक साल में तीन किश्तों में 6 हजार रूपये दिये जा रहे हैं। हाल ही में देश के 10 करोड़ से अधिक किसानों को सम्मान निधि की 11वीं किश्त जारी की गई। अब किसानों को प्राकृतिक खेती से भी जोड़ा जा रहा है।
देश का नेतृत्व संभालते ही प्रधानमंत्री मोदी ने दो बड़ी योजनाओं, मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। पहली योजना का मक़सद उद्योग और निवेश को बढ़ावा देना और दूसरी का स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करना था। मेक इन इंडिया का मक़सद लाल फीताशाही को कम करना, विदेशी उद्योगों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना और देश की जन-शक्ति को रोज़गार प्रदान करने की अनुमति देने का था। सरकार ने आगे बढ़ते हुए विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के द्वार भी खोल दिए। स्वच्छ भारत अभियान ने दुनिया में देश की छवि को बदल दिया है। यह अभियान लोगों का जोरदार समर्थन पाकर जन-आंदोलन बन गया है।
नमामि गंगे से देश की 40 फीसदी आबादी के जीवन पर आमूल-चूल परिवर्तन आया है। वहीं भारत के हर गाँव तक बिजली पहुँचाने के महत्वाकांक्षी मिशन ने देश को रौशन कर दिया है। देश जन धन-आधार और मोबाइल (JAM) के उपयोग से आमूल-चूल बदलाव करने वाले सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ये प्रत्यक्ष नकद हस्तांकरण के लिए एक यूनीक कॉम्बिनेशन है। इससे अनोखी पद्धति से बिना किसी लीकेज के लोगों तक सीधे लाभ पहुँचाए जा सकेंगे।
शिक्षा की गुणवत्ता और उसकी पहुँच बढ़ाने के लिए कई यूनिक उपाय किए गए हैं। बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दिया जा रहा है। चाहें ये रेलवे हो, सड़क हो या शिपिंग। सरकार संपर्क बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर फोकस कर रही है। सागरमाला परियोजना की तरह तटीय समुदायों के विकास के जरिए एक समग्र बंदरगाह आधारित विकास सुनिश्चित किया गया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सरकार श्रमेव जयते के सिद्धांत पर कड़ी मेहनत कर रही है। यह आठ साल देश के स्वर्णिम विकास के आठ साल है और यही कारण है कि इस दौर का भारत स्वर्णिम और मजबूत भारत के रूप में दुनिया में पहचान बनाने में सफल रहा है।
(लेखक, मध्यप्रदेश के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री है)