मध्य प्रदेश बजट
2022-23 : कृषि क्षेत्रों पर 40916 करोड़ रुपए खर्च करेगी राज्य सरकार
: डॉक्टर रश्मि वर्मा , बुरहानपुर
केंद्र और राज्य सरकार का फोकस कृषि पर होने से किसानों के लिए आए दिन कई घोषणाएं की जा रही हैं। सभी राज्य सरकारें अपने-अपने बजट में कृषि और उससे सम्बंधित क्षेत्रों के लिए भारी भरकम बजट रख रही है। इसके पीछे मुख्य कारण किसान आंदोलन के समय से रूठे हुए किसानों को मनाना है, ताकि इसका लाभ राज्य में आगे होने वाले विधानसभा चुनाव में वर्तमान सत्तासीन सरकार को मिल सके। खैर जो भी हो लेकिन किसानों के लिए यह फायदे की बात है। बहरहाल आज हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश बजट 2022 की। बीते दिनों मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने राज्य का बजट 2022 पेश किया। इसमें कृषि एवं कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों के लिए 40 हजार 916 करोड़ का प्रावधान किया गया है,जो गत वर्ष की तुलना में 5563 करोड़ रुपए अधिक है।
बता दें कि राज्य सरकार का पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट 35 हजार 353 करोड़ रखा गया था। इस तरह देखा जाए तो किसानों के लिए ये खुशी की बात है कि अब सरकार कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों के लिए पहले से ज्यादा पैसा खर्च करेगी। सरकार का दावा है कि इससे कृषि को बढ़ावा मिलेगा। किसानों की आय बढ़ेगी। राज्य के लाखों किसानों को लाभ मिलेगा। इस बजट की एक और विशेष बात ये है कि इस बार बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है और न ही इसे बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है।
कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए पशुपालन, सिंचाई, सहकारिता, उद्यानिकी- खाद्य प्रसंस्करण में 2022-23 के लिए 40 हजार 916 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया। इसमें से कृषि विभाग के लिए 15706 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है जो पिछले बजट से ज्यादा है। पिछला बजट में यह 15191 करोड़ था। इसमें 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है।
बजट में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के बजट में 4 प्रतिशत की कमी की गई है। बजट में इस क्षेत्र के लिए 668 करोड़ रखे गए हैं जबकि पिछले बजट में राशि 699 करोड़ रुपए की राशि इस क्षेत्र के लिए रखी गई थी। सहकारिता के बजट में 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इसके लिए 1960 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। वहीं पशुपालन एवं डेयरी में 35 प्रतिशत की वृद्धि कर 1443 करोड़ रुपए का बजट का प्रावधान किया है।
जगदीश देवड़ा,वित्तमंत्री मध्यप्रदेश ने कहा कि सरकार ने तय किया है कि कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा। इसके लिए कृषि अधोसंरचना निधि का सदुपयोग करने के लिए नई योजना लागू की जाएगी। इसके माध्यम से प्रसंस्करण और भंडारण को प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने के लिए ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर जोर रहेगा।
किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए निर्यात प्रोत्साहन योजना लागू की जाएगी। इसमें निर्यातकों से संपर्क करने, अन्य राज्यों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने, प्रदेश के व्यापारियों को प्रशिक्षण दिलाने का काम किया जाएगा। इसी तरह फसलों में विविधता लाने के लिए नई योजना लागू होगी। किसान एक ही तरह की फसल सालों-साल लेते रहते हैं। इसका असर उत्पादन के साथ-साथ उत्पाद की गुणवत्ता पर भी पड़ता है। इसे देखते हुए मांग, आधारित कृषि विविधीकरण पर जोर दिया जाएगा। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा
नर्मदा नदी के दोनों तट पर प्राकृतिक खेती का विस्तार किया जाएगा। प्राकृतिक खेती का क्षेत्र एक लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया जाएगा। शरबती गेहूं, कालीमूंछ चावल, जीरा शंकर चावल और पिपरिया की दाल को जीआई टैग दिलाने की कार्रवाई की जा रही है। पराली या नरवाई जलाने की समस्या से निपटने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन योजना लागू की जाएगी। इसमें कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से ऐसे उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे, जो फसल अवशेष को व्यवस्थित करने में सहायक साबित होंगे। कृषि उत्पादक संगठनों के गठन में गति लाई जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में संस्थाओं का उन्नयन किया जाएगा। कृषि प्रशासनिक सहकारी समितियों का कंप्यूटराइजेशन वर्ष 2022-23 में करने का लक्ष्य है। वहीं रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री पशुपालन योजना प्रारंभ की जा रही है जिसके लिए 150 रुपए करोड़ रुपए का प्रावधान है साथ ही मुख्यमंत्री मछलीपालन विकास योजना के लिए 50 करोड़ रखे गए हैं।