अगर भारत की जनसंख्या वर्तमान दर से बढती रही तो भारत जल्दी ही चीन को पछाड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जायेगा। यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जिस पर किसी भारतीय को गर्व नहीं होगा. इसी कारण भारत में 2 चाइल्ड पालिसी को लागू करने की बात की जा रही है।साधारण शब्दों में कहें तो जब किसी देश की जनसँख्या की मृत्यु दर में कमी होती है, बाल मृत्यु दर में कमी होती है लेकिन जन्मदर और जीवन प्रत्याशा में वृद्दि होती है तो इन सबके संयुक्त प्रभाव के कारण जनसंख्या में बहुत तेजी से हुई वृद्धि होती है। इस स्थिति को ही जनसँख्या विस्फोट कहा जाता है। इस तरह की अवस्था अक्सर कम विकसित देशों में पायी जाती है। भारत इस अवस्था से 1970 के दशक में गुजर चुका है लेकिन अब भारत की जनसँख्या वृद्धि दर में तेजी से कमी आ रही है और भारत की जनसँख्या को अब अभिशाप नहीं माना जाता है क्योंकि भारत पूरी दुनिया में सबसे युवा देश है।
जनसँख्या विस्फोट का एक मुख्य कारण जनगणना 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्या अभी भी केवल 74% ही शिक्षित हैं और गावों में तो यह आंकड़ा और भी कम है। इस कारण जनसंख्या को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं।गरीब लोग एक अतिरिक्त संतान को कमाई का अतिरिक्त हाथ मानते हैं।भारत में आज भी बहुत से लोग बच्चों को ईश्वर की देन मानते हैं। कुछ लोग तो बच्चों को धर्म से जोड़कर भी देखते हैं और गर्भ निरोधकों का प्रयोग करना धर्म के खिलाफ समझते हैं। इन सभी का मिलाजुला परिणाम जनसँख्या वृद्धि के रूप में सामने आता है. शिक्षा की कमी के कारण लोग परिवार नियोजन के उपायों को ठीक से नहीं अपनाते हैं। जैसे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग यह मानते हैं की पुरुष नशबंदी कराने से व्यक्ति की ताकत कम हो जाती है और वह मेहनत का काम करने लायक नहीं रहता है।कुछ लोग तो परिवार नियोजन के साधनों को जानते भी नहीं हैं और कुछ लोग इन साधनों का प्रयोग करना अपने धर्म के खिलाफ मानते हैं जबकि कुछ लोग इन साधनों को खरीद नहीं सकते हैं हालाँकि ये साधन सरकार के द्वारा फ्री में दिए जाते हैं फिर भी इस्तेमाल नही करते हैं। देश के बहुत से गावों में आज भी मनोरंजन के साधनों की कमी है जिसके कारण लोग सेक्स को मनोरंजन का साधन मानते हैं और परिवार बढ़ाते रहते हैं।आजकल सरकार लोगों को 1 बच्चे के जन्म पर 6 हजार और दूसरे बच्चे के जन्म पर भी 6 हजार रुपये देती है। अब ऐसी नीतियों के माहौल में परिवार नियोजन कैसे सफल होगा ?
ज्ञातव्य है कि चीन ने अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए 1 बच्चे की नीति को कठोरता से लागू किया था और जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पा लिया है, लेकिन इसका भारत उल्टा कर रहा है।मेरे हिसाब से सरकार को 6 हजार रुपये नकद ना देकर पोषण युक्त खाद्य सामाग्री फ्री में देनी चाहिए ताकि बच्चे स्वस्थ पैदा हों।
यदि किसी देश में जनसँख्या तेजी से बढती है तो उस देश में मौजूद आधारभूत संरचना और संसाधनों पर दबाव बढ़ता है जिससे कि देश का विकास प्रभावित होता है, और फिर देश गरीबी के कुचक्र में फंस जाता है।यह तो बिलकुल समान्य सी बात है कि जब कमाने वाले कम होंगे और खाने वाले ज्यादा तो लोगों को उनकी शारीरिक जरूरतों के अनुसार भोजन और पोषण नहीं मिल पायेगा फलस्वरूप उनके जीवन स्तर में गिरावट आती जाएगी। भारत में आज भी बहुत से गावों में यह सिलसिला जारी है. यदि किसी के माता पिता गरीब हैं जिन्होंने अधिक बच्चों के कारण सभी बच्चों की ठीक से पढाई लिखाई पर ध्यान नहीं दिया तो ऐसा संभव है कि उसकी आने वाली पीढ़ियां भी इसी चक्रवात में फंसी रहेंगी और गरीब के घर में गरीब पैदा होता रहेगा। जिस देश के लोग केवल अपने पेट के भरण पोषण में ही लगे रहेंगे वहां विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास की कल्पना करना भी बेमानी है।यह स्थिति अफ्रीका महाद्वीप के कई देशों मे आज भी देखने को मिलती है।
भारत भी इस तरह की स्थिति में 70 के दशक में फसा था यही कारण है की भारत की नीति निर्माताओं ने उस समय “हम दो हमारे दो” का नारा दिया था और जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी अभियान चलाया था।
इस प्रकार स्पष्ट है कि जनसँख्या विस्फोट की स्थिति सभी देशों के विकास में बाधक है। यह एक इस तरह की वृद्धि है जिस पर अल्प विकसित देशों को घमंड करने की बजाय शर्म आती है। इसके उलट विश्व में जापान, रूस और फ़्रांस जैसे देश भी हैं जहाँ की जनसँख्या वृद्धि नकारात्मक दौर में पहुँच गयी है और वहां की सरकारों को लोगों से जनसँख्या बढ़ाने की रिक्वेस्ट करनी पड़ रही है और कुछ देशों में सरकार के द्वारा एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर पैसा भी दिया जा रहा है।
: कपिल वर्मा,मध्यप्रदेश