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राष्ट्र के विकास में पर्यटन की भूमिका

डॉ. पूर्णिमा कुमारी
मानवीय सभ्यता का आधार उसका चिंतन एवं भ्रमण ही है। भारतीय ग्रंथों में तो ये कहा गया है कि ‘चरैवेति, चरैवेति’ अर्थात् चलते रहो, चलते रहो। गौतम बुद्ध ने भी कहा है ‘चरथ भिक्खवे, चरथ’—अर्थात् भिक्षुओ चलते रहो। सजीव चलायमान होता है यथा नदी का जल बहता नहीं है, तो सड़ने लगता है। विकास का गहरा संबंध यात्रा से है, विशिष्ट लक्ष्यों और दृष्टिकोणों के साथ देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करना और उस स्थान-सम्बंधित घटनाओं की खोज करना, अनुभूति की प्रक्रिया को ही पर्यटन कहा जाता है। पर्यटन मानव जिज्ञासा और अनुसंधान को पूरा करने और विकास के मार्ग में मानव समाज का मार्गदर्शन करने में सहायक रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने जन जागरूकता विस्तारित करने के उद्देश्य से 1980 में 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। विश्व पर्यटन दिवस के लिए 27 सितम्बर का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि इसी दिन 1970 में विश्व पर्यटन दिवस सम्बंधित संविधान को स्वीकार किया गया था।
आधुनिक युग में, पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्राप्त है। अन्य विकसित देशों की भांति भारत में भी पर्यटन के लिए एक विशेष विभाग है जो पर्यटन के विकास और विस्तार पर ध्यान देता है। भारत एक खूबसूरत और आकर्षक देश है। इसमें विभिन्न प्रकार के धर्म, संस्कृति, भाषा, इतिहास, नाना ऋतुएँ, समृद्ध वनस्पतियां तथा प्राणियों की विभिन्नता, भौगोलिक विविधता यथा सबसे ऊँचे पहाड़, खूबसूरत नदियाँ, विशाल जंगल, एक लंबी तटरेखा, बेरोज़गार द्वीप इत्यादि सांस्कृतिक विरासत हैं जो 1500 ईसा पूर्व से विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
भारत दुनिया का एकमात्र देश है जहाँ विभिन्न धर्मों के अनुयायी हैं जिस कारण सम्बन्धित महत्वपूर्ण स्थल भी धार्मिक धरोहर के रूप में उपलब्ध हैं। भारत पर्यटन की विविधता में एकता का देश है, यहाँ धार्मिक विविधता साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के विभिन्न आयाम भी मौजूद है। जहाँ एक तरफ रंग-बिरंगी वादियाँ दिखेंगी तो दूसरी ओर समुद्र की उफान मारती लहरें। कहीं आसमान छूने वाले पहाड़ दिखेंगे तो कहीं खिलखिलाते बागीचे।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से दिल्ली, आगरा, जयपुर, ग्वालियर, हैदराबाद, चेन्नई, गोवा, कोलकाता, मुंबई आदि अति महत्वपूर्ण स्थान हैं जो पर्यटकों को लुभाते हैं। वहीं अजंता, एलोरा और एलिफेंटा गुफाएँ अपनी कला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। कश्मीर, कुल्लू, मनाली, मसूरी, ऊटी, कोडाइकनाल, केरल में कोवलम समुद्र तट और गोवा में कोलवा समुद्र तट अपनी अद्भुत सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है तो केरल, भोपाल, नैनीताल झीलों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है। काजीरंगा, गिर, कॉर्बेट नेशनल पार्क, रणथंभौर और साइलेंट वैली जैसे महान राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य पर्यटकों के लिए एक महान आकर्षण का केंद्र है। पूर्वी भारत में पर्यटन स्थल समृद्ध एवं विकसित है। भारत के दर्शनीय स्थल प्रत्येक पर्यटकों पर अपनी छाप छोड़ जाते हैं, चाहे देशी हों या विदेशी। भारत के नाना पर्यटन स्थलों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है।
सम्पूर्ण भारत पर्यटन की दृष्टि से अधिक समृद्ध राष्ट्र नहीं है किन्तु आधुनिक समय में भारत को पर्यटन के अनुकूल बनाने और उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए, आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक तालमेल कार्यक्रम शुरू किया गया है। साथ ही पर्यटकों को प्रोत्साहित करने के लिए योजनायें भी शुरू की गई है। इसके तहत पर्यटकों की अधिकतम संख्या को आकर्षित करने के लिए नई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। बौद्धों के लिए दर्शनीय स्थल, जैसे बिहार में सारनाथ और महाराष्ट्र में अजंता एलोरा गुफाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। साहसिक पर्यटन इन दिनों बहुत लोकप्रिय है, इसलिए इसे प्राथमिकता के आधार पर लिया जा रहा है। इसमें स्कीइंग, एयरो स्पोर्ट्स, पर्वतारोहण, ऊंट और घुड़सवारी, ट्रैकिंग, साइकिल चलाना, मछली पकड़ना और नौका विहार करना शामिल है। राजस्थान में साहसिक पर्यटन के पर्याप्त अवसर हैं। सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़ी संख्या में मेले और उत्सव आयोजित कर रही है। एयर-इंडिया, इंडियन एयरलाइंस और आईटीडीसीके द्वारा प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की गई हैं। सरकार ने पर्यटन संबंधी सेवाओं और सुविधाओं के विकास के लिए निजी क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पर्यटन वित्त निगम की स्थापना की है।सरकार ने पर्यटन संबंधी सेवाओं और सुविधाओं के विकास के लिए निजी क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पर्यटन वित्त निगम की स्थापना की है। स्मारकों और एन मार्ग के स्थलों पर पर्यटक सुविधाओं को विकसित करना और सुधार करने का प्रयास भी किया जा रहा है।
पर्यटन मानव जीवन के सभी पहलुओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल देश के भीतर राष्ट्रीय एकता स्थापित करने में मदद करता है अमुक अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना की स्थापना को भी मजबूत करता है। अगर सरकार और जनता इस बारे में जागरूक होंगे और परस्पर सहयोग करेंगे तो पर्यटन उद्योग तेज़ी से विकास की ओर उन्मुख होगा। खेल कूद, फिल्म, मनोरंजन, विश्राम, स्वास्थ्य-लाभ के साथ पर्यटन का सम्बन्ध जुड़ गया है। व्यक्ति अथवा देशों के बीच भौतिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम यात्राएं ही है। इसके माध्यम से परस्पर समझने का अवसर मिलता है एवं रिश्ते भी मजबूत होते हैं। यात्रा करने से नई उर्जा का संचार, व्यक्ति के ज्ञान व अनुभव का विस्तार होता है और विचार सकारात्मक होते हैं। कोई भी व्यक्ति एक पुस्तक से अधिक जानकारियां एक क्षेत्र के भ्रमण से अर्जित करता है, अतः यात्रा का विस्तार व्यक्तित्व के विस्तार का आधार है। आधुनिक समय में अंतरिक्ष पर्यटन का चलन भी बढ़ रहा है अस्तु अंतरिक्ष को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित एवं अनुकूल बनाने का प्रयास जारी है।
भारत अध्यात्मिक, सांस्कृतिक, उत्सवों का गढ़ है,
पर्यटन को मिले नया परवाज़ ऐसा प्राकृतिक सौंदर्य है।

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