बहने लगी है वासंती बयार…
बहने लगी है वासंती बयार
मौसम बहुत हो चुका है खुशगवार
वासंती बयार जब मंद-मंद चलती है
फूलों की खुशबू सारे फिजां में महकती है
सच! वसंत में तुम्हारी बहुत याद आती है…
वसंत ऋतु प्रकृति का अनुपम उपहार
ऋतुराज वसंत में हमारे ख्वाब हुए थे साकार
हमने देखे थे सपने बसाने को इक सुंदर संसार
नई कोंपल, चारों तरफ हरियाली
कोयल गूंजती है डाली-डाली
सच में ये ऋतु होती है मतवाली
सच! वसंत में तुम्हारी बहुत याद आती है…
नया-नया रंग लिए आता जब मधुमास
प्रेमी-प्रेमिका के प्रीत की बढ़ जाती प्यास
हमें भी ऐसे ऋतुराज में तुमसे हुआ था प्यार
हमारे हृदय में प्रकृति जैसी हरियाली का आभास
वसंत ऋतु हमें कितना आता था रास
हमारे सपने सच होते हुए काश!
सच! वसंत में तुम्हारी बहुत याद आती है…
आमों की डालों पर आ गए हैं बौर
सजधज कर प्रकृति में है नई उमंग
प्रकृति अलौकिक शोभा रही बिखेर
हम वसंत में रहते थे घंटों संग-संग
कितनी मस्ती कितना रहता था उत्साह
खुशियों भरा होता है वसंत माह
हमने देखे थे साथ जीने के ख्वाब
तुम साथ नहीं हो तो कितना हूँ उदास
तुम्हारे पास होने का वसंत दे रहा एहसास
सच! वसंत में तुम्हारी बहुत याद आती है…
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तवग्राम-कैतहा, पोस्ट-भवानीपुर , जिला-बस्ती 272124 (उत्तर प्रदेश)