मंडला : महिलाओं के लिए म.प्र.दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का नाम आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिये लिया जाता है,ग्रामीण भारत के विकास शील ,विकसित स्वरूप में महिलाओं की जिस स्थिति की कल्पना की जाती है,उस संकल्पना को म.प्र.सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आजीविका मिशन ने साकार किया है,महिलाओं के स्व सहायता समूहों के निर्माण के साथ ,महिलाओं के सामाजिक ,आर्थिक, मानसिक विकास की नींव रखी जाती हैं,नियमित निरंतरता के साथ इन समूहों की महिलाओं को प्रशिक्षण और क्षमतावर्धन से मजबूत बनाया जाता है,इन प्रशिक्षणों के माध्यम से मिशन के अनुभवी कर्मचारी महिलाओं में पारंपरिक कला ,कार्य की परख भी करते हैं,और इन प्रशिक्षणों को क्रमिक गति देते हुये,इन महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों के स्वयं संचालन हेतु प्रेरित कर उन्हें ,अपनी कमाई करने के लिए तैयार कर देंते हैं। भारत सरकार और प्रदेश सरकार की स्वरोजगार ,धंधा स्थापित करने वाली योजनाओं से समन्वय कर वित्त पोषण भी उपलब्ध कराते है,आजीविका मिशन स्वयं भी बैंक से समूहों नगद साख सीमा ,बैंक खाते पर तय कराकर ,ऋण उपलब्ध कराकर,इनकी आजीविका को वित्त पोषित कर निश्चित करता है।मिशन ग्रामीण परिस्थितियों में इन समूहों की महिलाओं के परिजनों के भी आर्थिक निर्भरता का काम करता है,इनके बेरोजगार लड़के ,लड़कियों को भी सीधे प्रायवेट नौकरी,स्वरोजगार करने भी कार्य करता है। उल्लेखनीय है,आदिवासी बहुतायत जनसंख्या वाला जिला मंडला,ग्रामीण परिप्रेक्ष्य में महिलाओं के चित्र में बहुत बदला दिखाई देता है,महिलाओं का सामाजिक ,आर्थिक विकास सीधे दिखाई देता है,अनपढ़ता के पास बैठी महिलाओं को भी ,व्यक्तिगत शिक्षित स्वरूप में देखा जा सकता है।
आजीविका मिशनः
“गरीब परिवारों को उपयोगी स्व-रोजगार एवं कौशल आधारित रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर निर्धनता कम करना, ताकि गरीबों की मजबूत बुनियादी संस्थाओं के माध्यम से उनकी जीविका को स्थायी आधार पर बेहतर बनाया जा सके।”
मूल्य एवं सिद्वांत:
सभी प्रक्रियाओं में निर्धनतम व्यक्तियों को शामिल करना तथा उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका देना, सभी प्रक्रियाओं तथा संस्थाओं में पारदर्शिता तथा जवाबदेही, सुनिश्चित करना, सभी स्तरों, नियोजन, क्रियान्वयन एवं निगरानी में गरीबों, का स्वामित्व तथा उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित, करना, सामुदायिक आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता को स्थापित करना गरीबों में गरीबी से निजात पाने की तीव्र इच्छा होती है और इस संबंध में उनमें क्षमता भी होती है। गरीबों की क्षमता के उपयोग के लिये सामाजिक एकजुटता तथा मजबूत संस्थागत प्रयास महत्वपूर्ण हैं। सामाजिक एकजुटता, संस्थागत निर्माण तथा अधिकारों के उपयोग (सशक्तिकरण) के लिये एक बाहरी समर्पित एवं संवेदनशील सहायता संरचना आवश्यक है।
आजीविका मिशन तीन प्रमुख आधार है: गरीबों के लिये विद्यमान आजीविका विकल्पों में वृद्धि करना, बाहरी क्षेत्र में रोजगार के अनुसार उनका कौशल विकास करना, स्व-रोजगार तथा उद्यमशीलता (माइक्रो उद्यमों के लिये) को प्रोत्साहित करना।
प्रशिक्षण,क्षमता निर्माण तथा सामुदायिक संस्थागत विकासः
संस्थाओं का प्रबंधन, बाजार से संबद्धता, आजीविका प्रबंधन, ऋण की उपलब्धता,ऋण उपभोग की क्षमता निर्माण तथा ऋण साख बढ़ाना,बेहतर आय अर्जन गतिविधियों का संचालन, स्व-सहायता समूहों की मजबूती,परिसंघों का निर्माण एवं उनकी मजबूती,बैंकों से समन्वय एवं गतिविधि क्रियान्वयन,गरीबों को प्रभावित करने वाली सरकारी योजना एवं कार्यक्रमों की जानकारी एवं उनका लाभ,त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था से समन्वय एवं सहयोग कौशल विकास तथा प्लेसमेंट एवं आर.से.टी. – ऐसे सदस्य (युवकध्युवती) जो ग्राम में रहकर ही अपने कौशल में वृद्धि करते हुये अपने आजीविका कार्यों को आगे बढ़ाना चाहते हैं उनके कौषल में वृद्धि के लिये प्रषिक्षण दिया जाता है। वे युवक और युवतियां जो अपना स्वयं का कोई रोजगार न करते हुये गांव से बाहर किसी संस्थाध्कारखाने में काम करना चाहते हैं उनके लिये योग्यताध्क्षमता के आधार पर कंपनियों से समन्वय कर रोजगार मेलों के माध्यम से जोड़ा जाता है। ऐसे सदस्य जो पूर्व से संचालित पैतृक या अपने स्वयं के द्वारा शुरू किये गये कार्य में कौषल की वृद्धि चाहते हैं उनके लिये प्रषिक्षणों का आयोजन कर उनकी क्षमतावृद्धि की जाती है और उन्हें बैंकों से जोड़ा जाता है।
अजीविका
कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्रों में गरीबों की आजीविका संबंधी कार्यों को स्थाई बनाना तथा बढ़ावा देना है। प्रत्येक परिवार की आजीविका के संपूर्ण पहलू की जांच करके व्यक्तिगत, परिवार एवं सामूहिक रूप से गतिविधियों के लिये सहायता उपलब्ध कराया जाता है। समूहों को आय के स्त्रोत एवं रोजगार, व्यय से बचाव जोखिम प्रबंधन, ज्ञान कौशल, परिसंपत्तियां एवं अन्य संसाधन संवर्द्धन के बारे में जानकारी दी जाती है,तथा उनका क्षमतावर्द्धन किया जाता है। परिसंघों एवं संस्थाओं को मदद दी जाती है ताकि वे सामूहिक खरीद, समूह मूल्य संवर्द्धन और अपने उत्पाद की सामूहिक विक्री कर सकें। संवहनीय आजीविका एवं अनुकूलन हेतु जलवायु परिवर्तन परियोजना इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य किसानों में जलवायु परिवर्तन के कृषि आधारित आजीविका पर होने वाले दुष्प्रभावों से उभरने के लिए अनुकूलन क्षमता में वृद्धि करना है।