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वैज्ञानिक भी दे रहे मोटे अनाज के उपयोग की सलाह – श्री कूमट (मण्‍डला समाचार)

अंजनी एवं बीजेगांव में आयोजित की गई कृषक संगोष्ठी

      मवई विकासखंड के ग्राम अंजनी तथा नारायणगंज विकासखंड के बीजेगांव में कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें किसानों को जैविक खेती के बढ़ते महत्व तथा कोदो-कुटकी, चिया, रागी आदि मिलेट्स की खेती को व्यावसायिक रूप प्रदान करने के संबंध मंे जानकारी प्रदान की गई। अंजनी में आयोजित किसान संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रेयांश कूमट ने कहा कि मोटे अनाज में कोदो-कुटकी सहित अन्य मोटे अनाज में पौष्टिक तत्व होते हैं, जो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाते हैं। वैज्ञानिक भी कोदो-कुटकी, चिया, रागी आदि मिलेट्स के उपयोग की सलाह देते हैं जिसके कारण इनकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। मोटे अनाज की खेती अब अधिक मुनाफा दे रही है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि कोदो-कुटकी की खेती में उन्नत किस्म के बीज लगाएं तथा खेती में वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करें। मोटे अनाज की खेती में पानी की आवश्यकता कम पड़ती है। श्री कूमट ने कोदो-कुटकी के संग्रहण, प्रसंस्करण तथा मार्केटिंग आदि के संबंध में भी चर्चा करते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

कृषि में वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग करें

      प्रशिक्षण में उपसंचालक कृषि मधु अली  द्वारा बताया गया कि खेती में उन्नत प्रमाणित बीज के उपयोग और कतार में बोनी करने मात्र से  15 से 20 प्रतिशत  उपज बढ़ जाती है।कतार पद्धति से बोनी करने पर बीज की मात्रा कम लगती है वहीं छिड़काव पद्धति से बीज अधिक लगता है जिससे कृषि की लागत बढ़ती है। कोदो-कुटकी, रागी, आदि मोटे अनाज की खेती में रसायनिक खाद की आवश्यकता नहीं  है। जैविक खाद का उपयोग कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। इन फसलों के लिए गोबर खाद, केंचुआ खाद, जीवामृत का उपयोग किया जा सकता है जो मिट्टी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मददगार होते है। प्रशिक्षण में कोदो-कुटकी की खेती में कृषि यंत्रों के उपयोग तथा उपलब्धता के संबंध में भी विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।

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