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किसानों और मजदूरों के घर की औरतें…

किसानों और मजदूरों के घर की औरतें…

हमारे देश में अक्सर गाँवों में किसानों  

और मजदूरों के घर की औरतें 

घर के भीतर का काम निपटाने के बाद 

बाहर के भी कामों को देती हैं अंजाम

घर के चूल्हे-चौके से लेकर खेती-किसानी

कंडा-गोबर के साथ बीतती रहती है जिंदगानी

कभी उफ्फ नहीं करती कितनी भी परेशानी…

महीनों बीत जाते हैं चेहरे पर कभी क्रीम पाउडर

या सौंदर्य प्रसाधन का दिखता न निशान

कभी नहीं उनके चेहरों पर दिखती मुस्कान

देश-दुनिया के खबरों से वो रहती हैं अनजान

घर से बाहर तक के कार्यों में वो रहती हैं परेशान

कभी तर-त्योहार या किसी के घर हो शादी-ब्याह

तब एकत्रित होती हैं ये औरतें

एक-दूसरे को सुनाती हाल-चाल

बताती है घर की समस्याएँ और जंजाल

हँसती, बोलती और थोड़ी सा मुस्कराती हैं

अपने दिल के हाल बताती हैं

बच्चों और पति के अच्छाइयों और बुराइयों को 

सिलसिलेवार कहती जाती हैं…

कभी किसानों और मजदूरों के घर की औरतें

शहर या महानगरों में कुछ खरीदने जाती हैं

बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं, दुकान-माल को देखकर हैरान रह जाती हैं

पति जो कहता है, वो बिना कुछ कहे मान जाती हैं

सच में ये औरतें बिना दिखावट या आडंबर के 

कितना सरल, सहज और सुंदर जीवन बिताती हैं

यही औरतें सामान्य रूप में अपना कर्तव्य निभाती हैं

ऐसी औरतें आज भी पूज्य कहलाती हैं…

लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तवग्राम-कैतहा, पोस्ट-भवानीपुर , जिला-बस्ती 272124 (उत्तर प्रदेश)

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